चरणजीत के सपने को पूरा करने में ज्वालामुखी की कपूर बैडमिंटन अकादमी ने दिया सहयोग, बिटिया ने केरल में जीता गोल्ड
अपंगता को हराते हुए हुए पंजाब के पटियाला में जन्मी दिल्ली के कालका की स्थाई निवासी खिलाड़ी चरणजीत कौर ने केरल में आयोजित नेशनल पैराओलंपिक बैडमिंटन प्रतियोगिता में बुलंद होसलों से गोल्ड जीतकर मजबूरियों और विवशताओं को बौना साबित कर दिया है।
ज्वालामुखी, संवाद सूत्र। अपंगता को हराते हुए हुए पंजाब के पटियाला में जन्मी, दिल्ली के कालका की स्थाई निवासी खिलाड़ी चरणजीत कौर ने केरल में आयोजित नेशनल पैराओलंपिक बैडमिंटन प्रतियोगिता में बुलंद होसलों से गोल्ड जीतकर मजबूरियों और विवशताओं को बौना साबित कर दिया है। चरणजीत की इस उपलब्धि में हिमाचल भी गवाह बना है, क्योंकि अपने सपनों को पंख देने के लिए इस बार चरणजीत कौर ने जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी की कपूर अकादमी को चुना। जहां से चार महीने की कड़ी मेहनत के बाद चरणजीत कौर को केरल में गोल्ड मेडल जीतने में सफलता मिली है।
किस्मत ने ठुकराया, मेहनत ने संवारा
नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड जीतने बाली चरणजीत ने दैनिक जागरण को बताया कि वो तब चार साल की थी जब पोलियो का शिकार हो गई। मां-बापने इस अपंगता से छुटकारा दिलवाने के लिए भरपूर इलाज करवाया। लेकिन उनका पोलिया का शिकार पैर ठीक नहीं हो पाया। मैंने पढ़ाई के साथ खेलों में भविष्य संवारने का सपना संजो लिया। अटूट सपना जिसे में किसी भी हालत में पूरा करना चाहती थी। धीरे-धीरे बैडमिंटन में अभ्यास शुरू किया और आगे बढ़ती गई।
उच्च शिक्षित हैं चरणजीत
आम तौर पर अपंगता तथा अन्य गंभीर बीमारियों को अपने लिए अभिशाप मानकर थक जाने तथा हार मानने वालों के लिए चरणजीत ने नए रास्ते बताए हैं। चरणजीत ने दिखाया है कि फैसले किसी के लिए भी अभिशाप नहीं बल्कि वरदान हैं। चरणजीत ने बताया कि अभावों के बावजूद माता पिता ने उन्हें उच्च शिक्षित भी किया तथा मेरे सपनों को पूरा करने के लिए हर दम साथ खड़े रहे। चरणजीत पटियाला के बुमन कॉलेज से स्नातक हैं।
पति ने भी दिया भरपूर साथ
दिल्ली के समीर से उनकी शादी हुई। जिसके बाद वह दिल्ली चलीं गई। उनका एक बेटा गुरमेहर है जो अभी पढ़ाई कर रहा है। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में प्रैक्टिस शुरू की। प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया तथा कई मेडल अपने नाम किए।
चार माह से पहाड़ को बनाया कर्मस्थली
दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में बैडमिंटन के दो ही कोर्ट थे। सीखने वालों की भीड़ के कारण उसे कुछ कमियां दिख रहीं थीं। कहीं से हिमाचल के ज्वालामुखी में चल रही कपूर अकादमी का पता चला और वो यहां आ गई। सुकून भरे शांत वातावरण में अभ्यास का जो मजा यहां था कहीं नहीं। कपूर अकादमी से ही वो सीधे अपने कॉम्पिटिशन के लिए केरल रवाना हुई।जहां देश के लिए गोल्ड मेडल जीतकर कामयाबी हासिल की।
ये इनाम हैं चरणजीत के नाम
-वर्ष 2016 में सोहलवीं सीनियर नेशनल पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।
-2018 में वाराणसी में आयोजित नेशनल गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम किया।
-2019 में रुद्रपुर में आयोजित तीसरी नेशनल पैरा बेडमिंटन चैंपियनशिप में रजत पदक देश की झोली में डाला।
-2021 में ही दुबई में थर्ड पैरा-बेड मिन्टन चैंपियंनशिप में कांस्य पदक जीता।
-अब केरल में हो रही नेशनल पैरा-बेड मिन्टन चैंपियनशिप में शुक्रवार को गोल्ड मेडल जीता।
2024 के ओलंपिक पर नजर
चरणजीत बतातीं हैं कि कोविड के कारण खेलों पर भी बुरा असर पड़ा है। 2020 में खेलों का आयोजन ना होने से वे टोक्यो में चल रहीं पैराओलंपिक के लिए रैंकिंग नहीं बना पाई। सब कुछ ठीक रहा तो 2024 मैं पेरिस में आयोजित होने वाली ओलंपिक में देश का मान बढ़ाउंगी।
कपूर बैडमिंटन अकादमी लगा रही खिलाड़ियों के सपनों को पंख
कपूर बैडमिंटन अकादमी ज्वालामुखी देश के कई राज्यों के होनहार खिलाड़ियों के सपनों को पंख लगा रही है। लगभग पांच साल पहले शुरू हु इस अकादमी से कई खिलाड़ी नेशनल, इंटरनेशनल तथा स्टेट लेबल के पदक विजेता बन रहे हैं। संचालक रविंदर कपूर खुद इंटरनेशन खेले हैं जबकि उनके बहु, बेटे, बेटी भी राष्ट्रीय स्तर के बड़े खिलाड़ी हैं।
इन इन को मिली सफलता
-हिमाचल के गौरव तथा सौरभ यहां से सीखकर बैडमिंटन के नैशनल चैंपियन रहे हैं।
-गुरुग्राम के हरजीव स्टेट चैंपियन तथा राष्ट्रीय पदक विजेता बने।
-उत्तरप्रदेश के विदान्स स्टेट चैंपियन बने।
-यूपी के ही कर्ण कुमार अंडर 17 चैंपियनशिप के स्टेट चैंपियन बने।
-हिमाचल के प्रणव अंडर 19 के स्टेट चैंपियन बने।
-हिमाचल की ही सिमरण स्टेट चैंपियन बनीं।
-हरियाणा के विभांशु स्टेट चैंपियन बने।
-हिमाचल के मंडी के रूबी स्टेट चैंपियन बनीं।
-भारती अंडर 17 की स्टेट चैंपियन बनीं।
-हिमाचल के ही जतिन स्टेट चैंपियन बने।
-हरियाणा के अमित तथा सिहाग नेशनल चैंपियन तथा इंटरनेशनल स्तर पर पदक विजेता बने।
-हिमाचल के हर्षित भी स्टेट चैंपियन बन चुके हैं।
-जम्मू कश्मीर से भवदीप, नीलखंड,भव्य यहीं से बैडमिंटन की बारीकियां सीखकर स्टेट चैंपियन बने हैं।
-रविंदर कपूर की बेटी करिश्मा कपूर खेलो इंडिया में नेशनल चैंपियन बनी हैं।