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नूरपुर की दो पंचायतों के लोग पीलिया की चपेट में, स्‍वास्‍थ्‍य और आइपीएच महकमे में हड़कंप

उपमंडल नूरपुर की पंचायतों नागाबाड़ी और छतरोली के कुछ गांवों में पीलिया फैलने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 08:22 AM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 10:11 AM (IST)
नूरपुर की दो पंचायतों के लोग पीलिया की चपेट में, स्‍वास्‍थ्‍य और आइपीएच महकमे में हड़कंप
नूरपुर की दो पंचायतों के लोग पीलिया की चपेट में, स्‍वास्‍थ्‍य और आइपीएच महकमे में हड़कंप

जसूर, जेएनएन। उपमंडल नूरपुर की पंचायतों नागाबाड़ी और छतरोली के कुछ गांवों में पीलिया फैलने से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया है। दोनों पंचायतों में करीब 29 लोग बीमारी की चपेट में आए हैं और इससे आइपीएच व स्वास्थ्य विभाग की सांसें फूलने लगी हैं। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी लोगों के घरों की स्थिति का जायजा लेने के लिए भटक रहे हैं और आइपीएच विभाग पेयजल टैंकों की ओर झांकने लगा है। छतरोली पंचायत के ग्योरा गांव में 19 व नागाबाड़ी के नगलाहड़ गांव में भी करीब 10 लोगों को पीलिया ने चपेट में लिया है।

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बीमारी से ग्रस्त सभी लोगों का सिविल अस्पताल नूरपुर में इलाज किया जा रहा है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि पेयजल पाइपें गंदी नालियों से गुजरती हैं और जगह-जगह लीक करती हैं। आरोप लगाया कि इस कारण ही गांवों में पीलिया फैला है। ग्रामीणों का कहना है कि राजा का बाग से नागलाहड़ संपर्क मार्ग के सुधारीकरण का कार्य भी चल हुआ है और सड़क किनारे ही पेयजल पाइप भी हैं, जो एक नहीं बल्कि कई जगह से लीक करती हैं। नागलाहड़ के रघुवीर ङ्क्षसह, करनैल ङ्क्षसह, स्वर्णलता, सुरजीत सेन, मनमोहन सिंह व विशाल ने बताया कि उनके स्वजन भी बीमारी से ग्रस्त हैं।

ग्योरा गांव में करीब 19 लोग पीलिया से ग्रस्त हैं। स्वास्थ्य विभाग ने उक्त लोगों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया है। पंचायत ने संबंधित विभाग व प्रशासन को इस बाबत अवगत करवा दिया है। -विजय सेन, कार्यवाहक पंचायत प्रधान छतरोली।

विभागीय टीम ने लोगों को उक्त बीमारी से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया है। लोगों को पानी उबालकर पीने की हिदायत दी गई है। इस संबंध में ङ्क्षसचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग को भी अवगत करवा दिया है। -डॉक्टर नीरजा गुप्ता, बीएमओ नूरपुर।

विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है। पेयजल की जांच की जा रही है। उक्त योजना से 12 से 13 गांवों को सप्लाई जाती है, ऐसी स्थिति अन्य जगह भी होनी चाहिए थी। सिर्फ दो गांवों में ही बीमारी फैली है। हो सकता है कि पीलिया टैंकरों या अन्य पेयजल स्रोतों का पानी पीने से फैला हो। फिर भी विभाग ने पानी के सैंपल टांडा मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए भेजे हैं। -केके कपूर, अधिशाषी अभियंता सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग।

क्या है पीलिया

हमारे खून में बिलिरुबिन की मात्रा बढऩे से पीलिया की समस्या होती है। बिलिरुबिन एक पीले रंग का द्रव्य पदार्थ होता है। जब हमारे रक्त की लाल रक्त कणिकाओं के 120 दिन का साइकिल पूरा होता है तब बिलिरुबिन का निर्माण होता है। बिलि एक पाचक तरल पदार्थ होता जो लिवर में बनता है और गॉल ब्लेडर में रहता है। बिलि हमारे शरीर से खाने के अवशोषण और मल को बाहर निकालने में सहायक होता है। अब किसी कारणवश अगर बिलिरुबिन और बिलि का सही मिश्रण नहीं हो पाता या फिर लाल रक्त कणिकाएं समय चक्र से पहले ही टूटने लगती हैं तो हमारे रक्त में बिलिरुबिन का लेवल तेजी से बढऩे लगता है। ऐसे में यह शरीर के दूसरे अंगों में जाकर उनमें भी पीलापन पैदा करने लगता है और इस कारण ही हमारी त्वचा पीली दिखाई देने लगती है।

रोग लगने के कारण

यह रोग ज्यादातर ऐसे स्थानों पर होता है जहां के लोग व्यक्तिगत व वातावरणीय सफाई पर कम ध्यान देते हैं अथवा बिल्कुल ध्यान नहीं देते। भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी यह ज्यादा होता है। वायरल हैपटाइटिस बी किसी भी मौसम में हो सकता है। 

ये हैं लक्षण

-रोगी को बुखार रहना।

-भूख न लगना।

-चिकनाई वाले भोजन से अरुचि।

-जी मिचलाना और कभी-कभी उल्टियां होना।

-सिर में दर्द होना।

सिर के दाहिने भाग में दर्द रहना।

-आंख व नाखून का रंग पीला होना।

-पेशाब पीला आना।

-अत्यधिक कमजोरी और थका-थका सा लगना

किस तरह करें उपचार

रोगी को शीघ्र डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लेना चाहिए।

-बिस्तर पर आराम करना चाहिए घूमना, फिरना नहीं चाहिए।

-लगातार जांच करवाते रहना चाहिए।

-डॉक्टर की सलाह से भोजन में प्रौटीन

 और कार्बोज वाले प्रदार्थों का सेवन करना चाहिए।

-नींबू, संतरे तथा अन्य फलों का रस भी इस रोग में गुणकारी होता है।

-वसायुक्त गरिष्ठ भोजन का सेवन  हानिकारक है।

-चावल,  दलिया,  खिचड़ी,  थूली,  उबले आलू,  शकरकंदी,  चीनी,  ग्लूकोज,   चीकू,  पपीता,  छाछ व मूली का सेवन करना चाहिए।


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