स्मार्ट फोन के लिए गाय बेचने वाले कुलदीप के बच्चों को दसवीं तक निशुल्क पढ़ाएगा स्कूल
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गाय बेचकर स्मार्ट फोन खरीदने वाले कुलदीप की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने लगे हैं।
ज्वालामुखी, जेएनएन। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए ऑनलाइन पढ़ाई के लिए गाय बेचकर स्मार्ट फोन खरीदकर देशभर में चर्चा में आए जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी के गुम्मर निवासी कुलदीप की मदद के लिए हाथ बढ़ने लगे हैं। लोगों और अभिनेता सोनू सूद के बाद अब अल्पाइन पब्लिक स्कूल भी परिवार की मदद के लिए आगे आया है। कुलदीप के बच्चे अनु और वंश इसी स्कूल के विद्यार्थी हैं। अनु चौथी तो वंश दूसरी कक्षा में पढ़ता है। स्कूल प्रबंधन ने दोनों बच्चों की दसवीं तक की पढ़ाई पूरी करवाने के लिए उन्हें गोद लेने का फैसला लिया है।
स्कूल प्रबंधन की तरफ से प्रधानाचार्य मीना शर्मा ने बताया कि कुलदीप ने बच्चे अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि बच्चों के हठ के कारण उनके स्कूल में दाखिल करवाए थे। पड़ोस के बच्चे उनके स्कूल में पढ़ने आते थे, जिन्हें देखकर कुलदीप के बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ने के लिए हठ करने लगे। बच्चों के भविष्य व हठ के आगे कुलदीप ने अपनी आर्थिक हालत को नजरअंदाज करके उनके स्कूल में बच्चों को दाखिला दिलाया था।
मीना शर्मा ने बताया कि कुलदीप की पत्नी अकसर स्कूल आती रहती है। उनकी खराब हालत से वह भलीभांति परिचित हैं। इस पर स्कूल प्रबंधन ने उनके दोनों बच्चों की आधी फीस पहले ही माफ कर दी थी। इसके अलावा बच्चों की महंगी किताबों की भी व्यवस्था करवाई जाती रही है। स्कूल प्रबंधन यह जानता था कि कुलदीप की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन यह नहीं मालूम था कि कुलदीप व उसकी पत्नी बच्चों के साथ गोशाला में साथ बंधी भैंस के कमरे के बरामदे में तिरपाल लगाकर रहता है।
समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से कुलदीप की हालत के बारे में जाना तो काफी दुख हुआ। स्कूल प्रबंधन ने कभी भी कुलदीप तो क्या किसी अन्य गरीब अभिभावकों को ऑनलाइन कक्षाओं या फीस के लिए बाध्य नहीं किया। स्कूल अभी करीब 20 छात्रों को आधी स्कूल फीस व मुफ्त में भी पढ़ा रहा है। अभिभावकों ने माना स्कूल प्रबंधन लेता है आधी फीस कुलदीप व उसकी पत्नी पवना देवी ने बताया कि बच्चों के लिए स्मार्ट फोन खरीदने के बाद लोग उनसे मिलने पहुंच रहे हैं। हम कम पढ़े-लिखे हैं इसलिए इतनी भीड़ व मोबाइल फोन की पल-पल बजती घंटियों से हड़बड़ा गए हैं।
प्रशासन के लोग आए तो हड़बड़ाहट में उनके पूछने पर बोल दिया कि किताबें व स्कूल फीस सब जेब से भरते हैं। स्कूल उनसे दो बच्चों की आधी फीस ले रहा है। किताबें भी कई बार स्कूल ने ही मुफ्त में दिलवाई हैं। स्कूल लंच बॉक्स में जाता था चपाती, दही व नमक अनु और वंश स्कूल जाते थे तो उनके लंच बॉक्स में चपाती तो सब्जी की जगह दही व नमक दिया जाता था। स्कूल में अध्यापकों को जब इस बात का पता चला तो वे कई बार अपने लंच बॉक्स बच्चों को दे देते थे। इसके अलावा स्कूल के बच्चों को भी अनु व वंश की मदद के लिए प्रेरित करते थे।