मंडी में आबकारी एवं कराधान विभाग की निलंबित निरीक्षक थी विजिलेंस की रडार पर, चल-अचल संपत्ति की होगी जांच
जोगेंद्रनगर के गलू बाटलिंग प्लांट में तैनात आबकारी एवं कराधान विभाग की निलंबित निरीक्षक विजिलेंस की रडार पर थी। विजिलेंस की टीम काफी समय से उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी। एक परमिट पर शराब के कई ट्रक भेजने की एवज में मोटी रकम लेती थी।
हंसराज सैनी, मंडी। मंडी जिले के जोगेंद्रनगर के गलू बाटलिंग प्लांट में तैनात आबकारी एवं कराधान विभाग की निलंबित निरीक्षक विजिलेंस की रडार पर थी। विजिलेंस की टीम काफी समय से उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी। विजिलेंस के पास किसी ने शिकायत की थी कि निरीक्षक एक परमिट पर शराब के कई ट्रक भेजने की एवज में मोटी रकम लेती थी। विजिलेंस के हाथ इसके साक्ष्य भी लग गए थे। इससे पहले कि विजिलेंस उसे रंगे हाथ पकड़ती, जहरीली शराब मामले के बाद उसके क्रियाकलापों की पोल खुल गई।
गलू प्लांट में अवैध शराब के कारोबार को रोकने के बजाय निरीक्षक माफिया के साथ सांठगांठ कर इसे बढ़ावा दे रही थी। प्लांट में काफी समय से अवैध रूप से शराब बन रही थी। आबकारी एवं कराधान विभाग की तरफ से बाटङ्क्षलग प्लांट में निरीक्षक स्तर का अधिकारी तैनात रहता था। उसे प्लांट में बाहर से आने वाली स्पिरिट की सप्लाई, इससे तैयार होने वाली शराब व सप्लाई का पूरा लेखा जोखा रखना होता है। निरीक्षक की मंजूरी के बिना प्लांट में एक मिलीलीटर शराब भी नहीं बन सकती है।
गलू प्लांट में हजारों बोतल शराब अवैध रूप से बनी है। यह कांगड़ा व अन्य जिलों को सप्लाई भी हुई। करीब 11000 लीटर स्पिरिट भी गायब हो गया, लेकिन निरीक्षक ने वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में मामला नहीं लाया और न ही अवैध कारोबार पर रोक लगाने के लिए कोई कारगर कदम उठाया। शिमला के उडऩदस्ते ने 18 जनवरी को गलू प्लांट का औचक निरीक्षण किया तो इसका भंडाफोड़ हुआ। निलंबित निरीक्षक की चल-अचल संपत्ति की भी जांच होगी। विशेष जांच दल (एसआइटी) भी निरीक्षक से पूछताछ करेगा। निलंबन के बाद आबकारी एवं कराधान विभाग ने निरीक्षक का मुख्यालय बिलासपुर में तय किया है।