चीन व पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सेना होगी और सशक्त, बीआरओ ने रखी योजक की नींव
BRO YOJAK Project चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात भारतीय सेना को और सशक्त बनाने के लिए बीआरओ ने योजक की नींव रख दी है। योजक परियोजना का आगाज अटल टनल रोहतांग के साथ हो चुका है। इसका उद्देश्य लद्दाख को हिमाचल के साथ 12 माह जोड़े रखना है।
मनाली, जसवंत ठाकुर। BRO YOJAK Project, चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात भारतीय सेना को और सशक्त बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)ने 'योजक' की नींव रख दी है। योजक परियोजना का आगाज अटल टनल रोहतांग के साथ हो चुका है। इसका उद्देश्य लद्दाख को हिमाचल के साथ 12 माह जोड़े रखना है। इस नामुमकिन काम को करने के लिए बीआरओ को बर्फ से लकदक ऊंचे पहाड़ी दर्रों को झुकाना पड़ेगा। अटल टनल की ही तरह योजनाबद्ध तरीके से कई सुरंग का जाल बिछा कर योजक परियोजना इस मुश्किल काम को संभव करेगी। इस कड़ी में योजक परियोजना का पहला लक्ष्य है शिंकुला दर्रे के नीचे सुरंग बना कर लद्दाख की जांसकर घाटी को सालभर हिमाचल से जोड़े रखना। शिंकुला सुरंग की डीपीआर सर्दी खत्म होने से पहले बनने की उम्मीद है। इसके तुरंत बाद सुरंग का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
सुरंग बनाने में बीआरओ की योजक परियोजना के इंजीनियर अटल टनल के अपने अनुभव का इस्तेमाल कर पाएंगे। शिंकुला सुरंग बनने से न सिर्फ जांसकर घाटी के हजारों लोगों की जिंदगी सुगम हो जाएगी बल्कि भारतीय सेना के पास चीन और पाकिस्तान की सीमा तक पहुंचने का एक और वैकल्पिक मार्ग भी तैयार हो जाएगा। हालांकि, दर्जनों एवलांच प्वाइंट, कई फीट बर्फ, सड़क की परत के साथ इंसान का खून जमा देने वाली ठंड हमेशा चुनौती बनी रहेगी।
बीआरओ की मानें तो उसने हाल ही में लद्दाख में उमङ्क्षलग्ला दर्रे के नजदीक 19,024 फीट ऊंचाई पर दुनिया की सबसे ऊंची वाहन चलाने लायक सड़क के निर्माण किया है। 52 किलोमीटर लंबी यह सड़क चिसुमले से डेमचोक तक जाती है और इसी दर्रे से होकर गुजरती है। हर मौसम में इस्तेमाल लायक सड़कें उपलब्ध करवाने के मिशन में और कई दर्रे और मार्ग का निर्माण बीआरओ का लक्ष्य है।
बीआरओ की योजक परियोजना के चीफ इंजीनियर जितेंद्र प्रसाद ने कहा कि दर्रों में सुरंगों का निर्माण करने के लिए योजक का गठन किया गया है। शिंकुला सहित मनाली लेह मार्ग पर बनने वाली सुरंगों के निर्माण का जिम्मा बीआरओ की योजक परियोजना का ही होगा।
पदुम पहुंचने के लिए 874 किलोमीटर का सफर
इस समय पदुम पहुंचने के लिए वाया लेह व नीमो होते हुए 874 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। दारचा शिंकुला से पदुम पहुंचने में 230 किलोमीटर का ही सफर रह जाएगा। मनाली से दारचा 100 किलोमीटर, दारचा से शिंकुला 40, शिंकुला से पुरने 39 और पुरने से पदुम की दूरी 50 किलोमीटर है।
शिंकुला से कारगिल पहुंचना भी आसान
दारचा से नीमो तक 297 किलोमीटर लंबी सड़क का कार्य भी चल रहा है। अभी दारचा से पदुम सड़क से जुड़ा है जबकि पदुम से नीमो सड़क का कार्य जारी है। ङ्क्षशकुला सड़क व टनल लेह के रास्ते को सुगम बनाएगी। शिंकुला होते हुए मात्र एक ही दर्रे को पार करना होगा जबकि इस समय बारालाचा, लाचुंगला व तंगलंगला जैसे ऊंचे दर्रे पार करने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर शिंकुला से कारगिल पहुंचना भी आसान होगा।