Leakage in Dal Lake : आइआइटी मंडी व रुड़की के विशेषज्ञ रोकेंगे डल झील में रिसाव
Leakage in Dal Lake सालों से नड्डी की डल झील के रिसाव से परेशान जिला कांगड़ा प्रशासन ने विशेषज्ञों एवं विज्ञानियों के सुझाव लेने का निर्णय लिया है। डल झील की गाद हटाने और रिसाव रोकने के लिए आइआइटी मंडी और रुड़की के विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। Leakage in Dal Lake, सालों से नड्डी की डल झील के रिसाव से परेशान जिला कांगड़ा प्रशासन ने विशेषज्ञों एवं विज्ञानियों के सुझाव लेने का निर्णय लिया है। डल झील की गाद हटाने और रिसाव रोकने के लिए आइआइटी मंडी और रुड़की के विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा। उनकी सलाह पर झील से सिल्ट हटाकर लीकेज की समस्या से पार पाया जाएगा।
डल झील के संरक्षण व सुंदरीकरण के लिए शुक्रवार को धर्मशाला में उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई। उन्होंने कहा कि डल के संरक्षण व संवद्र्धन के लिए नगर निगम, वन विभाग, जलशक्ति विभाग, पर्यटन व मत्स्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा प्रशासन की तरफ तहसीलदार डल झील संरक्षण व संवद्र्धन समिति में शामिल रहेंगे।
डल झील एक हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। यह श्रद्धालुओं के साथ पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। हर वर्ष हजारों पर्यटक झील को देखने आते हैं। अक्टूबर-नवंबर में झील में पानी कम हो जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए विशेषज्ञों से मदद मांगी गई है ताकि वर्ष भर पर्याप्त पानी उपलब्ध रहे।
इससे पहले जलशक्ति विभाग की ओर से श्रवण कुमार ठाकुर ने झील के संरक्षण पर प्रस्तुति दी। नगर निगम के आयुक्त प्रदीप ठाकुर ने भी झील के सरंक्षण के लिए सुझाव दिए। बैठक में एडीएम रोहित राठौर, एसी टू डीसी डा. मदन, डीएफओ संजीव शर्मा, पर्यटन निगम के अधिकारी प्रीत पाल ङ्क्षसह, एसडीएम शिल्पी बेक्टा व विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
10 दिन से सूख रही है झील
डल झील का पानी 10 दिन से सूखना शुरू हुआ है। तीन से चार दिन से स्थिति यह हो गई है कि झील पूरी तरह से सूख चुकी है और मछलियां भी मरने लगी थी। तीन दिन पूर्व स्थानीय प्रशासन व लोगों ने झील की मछलियां मत्स्य विभाग कांगड़ा व गंगभैरों में शिफ्ट कर दी।
सुंदरीकरण तो दूर, गाद तक नहीं निकाल पाया प्रशासन
मणिमहेश के बाद डल झील दूसरी ऐसी पवित्र झील है जहा हर वर्ष राधाष्टमी के दिन सैकड़ों श्रद्धालु स्नान करते हैं। इसलिए इसे छोटा मणिमहेश के नाम से भी जाना जाता है। 2007-08 में इसके सुंदरीकरण के लिए हाथ आगे बढ़े थे, लेकिन इसके लिए बजट का कोई प्रविधान नहीं था। उसके बाद बजट का प्रविधान होना शुरू हुआ। सबसे पहले लोक निर्माण विभाग को डल झील में पानी की लीकेज रोकने का काम सौंपा गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। बाद में सुंदरीकरण का काम शुरू किया और कुछ गाद भी निकाली। सात वर्ष से डल का वैभव नहीं लौट पाया है और न ही रिसाव बंद हो पाया है।
2014 से हो रही लीकेज
मई, 2014 में डल झील में पहली बार लीकेज शुरू हुआ। उस समय प्रशासन ने लीपापोती कर रिसाव वाले स्थान पर कंकरीट डाल दी। उसके बाद भी बार-बार झील में रिसाव होता रहा। हालांकि इस साल की लीकेज पहले की तुलना में बहुत अधिक है।
वीरभद्र सिंह ने रखी थी आधारशिला
नौ अगस्त, 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र ङ्क्षसह ने डल झील के सुंदरीकरण के दो करोड़ रुपये से प्रस्तावित कार्य का शिलान्यास किया था। यह कार्य एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के माध्यम से किया जाना था। इस दिशा में कुछ काम हुआ भी, लेकिन परिणाम शून्य ही रहा।