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Hing Cultivation: शीत मरुस्‍थल लाहुल में हींग की खेती शुरू, देश में तैयार होगा अब यह महंगा मसाला

Asafoetida Cultivation in India हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने प्रदेश में पहली बार हींग की खेती की शुरूआत करने का बीड़ा उठाया है। इसकी शुरूआत संस्थान के निदेशक डीन संजय कुमार ने प्रदेश के शीत मरूस्थल जिला लाहुल स्पीति से की है।

By Richa RanaEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 01:07 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 12:56 PM (IST)
Hing Cultivation: शीत मरुस्‍थल लाहुल में हींग की खेती शुरू, देश में तैयार होगा अब यह महंगा मसाला
हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने प्रदेश में पहली बार हींग की खेती की शुरूआत की।

पालमपुर, जेएनएन। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर ने प्रदेश में पहली बार हींग की खेती की शुरुआत करने का बीड़ा उठाया है। इसकी शुरुआत संस्थान के निदेशक डीन संजय कुमार ने प्रदेश के शीत मरूस्थल जिला लाहुल स्पीति से की है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में हींग की खपत भारत में सबसे अधिक है। किंतु भारत में इसका उत्पादन नहीं होता तथा देश हींग के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर आश्रित रहना पड़ता है। वर्तमान में 600 करोड़ रुपये के करीब 1200 मीट्रिक टन कच्ची हींग अफ़ग़ानिस्तान, ईरान उज्बेकिस्तान से आयात की जाती है। अब यह महंगा मसाला देश में ही तैयार किया जाएगा।

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राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले तीस वर्षों में हींग के बीज का आयात हमारे देश में नहीं हुआ है और यह प्रथम प्रयास है जब हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी  संस्थान पालमपुर ने हींग के बीज का आयात किया है।

अब संस्थान ने कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है। किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हींग की खेती एक मील का पत्थर साबित हो सकती है तथा आयात पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।संस्थान के वैज्ञानिक डीन अशोक कुमार तथा रमेश ने लाहुल स्पीति के मडग्रांए बीलिंगए केलांग तथा कवारिंग क्षेत्रों में किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में हींग की खेती पर प्रशिक्षण दिया तथा हींग के बीज उत्पादन हेतु प्रदर्शनी क्षेत्र स्थापित किया।

डीन अशोक कुमार ने बताया कि हींग एक बहुवर्षीय पौधा है तथा पांच वर्ष के उपरांत इसकी जड़ों से ओलिओ गम रेजिन निकलता है जिसे शुद्ध हींग कहते है। इसकी खेती के लिए यहां कि जलवायु उपुक्त है तथा इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए ठंड के साथ पर्याप्त धूप का होना अति आवश्यक है। डीन रमेश ने हींग की विभिन्न कृषि तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी किसानों को दी।


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