आइजीएमसी की न्यू ओपीडी खुलने में एनजीटी का पेंच, भवन को एनजीटी की क्लीयरेंस मिलने का इंतजार
IGMC hospital Shimla हिमाचल प्रदेश के बड़े स्वास्थ्य संस्थान में निर्माणाधीन न्यू ओपीडी खुलने में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का पेंच फंस गया है। एनजीटी से न्यू ओपीडी भवन को क्लीयरेंस नहीं मिली है। अस्पताल एनजीटी से क्लीयरेंस के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा हुआ है।
शिमला, जागरण संवाददाता। IGMC hospital Shimla, हिमाचल प्रदेश के बड़े स्वास्थ्य संस्थान में निर्माणाधीन न्यू ओपीडी खुलने में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का पेंच फंस गया है। एनजीटी से न्यू ओपीडी भवन को क्लीयरेंस नहीं मिली है। अस्पताल एनजीटी से क्लीयरेंस के लिए औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा हुआ है। क्लीयरेंस मिलने के बाद ही ओपीडी खुलने का रास्ता साफ हो सकता है। न्यू ओपीडी का काम लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन आकलैंड टनल के समीप एंट्रांस का कार्य चल रहा है। शिमला में पिछले दिनों से लगातार बारिश के कारण यह काम भी बीच-बीच में रोकना पड़ रहा है। ओपीडी में अस्पताल की सभी 33 ओपीडी शिफ्ट होंगी। इससे मरीजों और तीमारदारों के बैठने व चेकअप करवाने सहित टेस्ट की उचित व्यवस्था होगी।
अस्पताल में टेस्ट करवाने के लिए एक ही जगह तैयार की जा रही है जहां मरीज सभी प्रकार के टेस्ट करवा सकते हैं और निश्चित समय में रिपोर्ट ले सकते हैं। अस्पताल के पुराने ब्लाकों में मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए भटकना पड़ता है। जगह की कमी के कारण पुराने ब्लाकों में अलग-अलग स्थानों पर यह सुविधाएं दी जाती हैं। नए ब्लाक में यह सुविधाएं एक ही जगह मिलने से मरीजों का समय बचेगा।
आइजीएमसी के प्रधानाचार्य डा. सुरेंद्र सिंह ने कहा एनजीटी से क्लीयरेंस मिलने के बाद ओपीडी खोलने पर विचार किया जाएगा। मौजूदा समय में क्लीयरेंस के लिए औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
संक्रमण का खतरा घटेगा
आइजीएमसी में रोजाना दो से तीन हजार लोग विभिन्न ओपीडी में जांच करवाने पहुंचते हैं। तीमारदारों के साथ यह संख्या दोगुनी हो जाती है। इसके अलावा अस्पताल में 800 से 850 मरीज विभिन्न वार्डों में दाखिल रहते हैं। ऐसे में अस्पताल में कोरोना संक्रमण का खतरा भी बना रहता है। मौजूदा समय में जगह की कमी के कारण कई ओपीडी और वार्ड छोटे-छोटे कमरों में हैं। मरीजों की संख्या बढऩे से भीड़ उनकी परेशानी बढ़ाती है। न्यू ओपीडी की सुविधा मिलने से अस्पताल में जगह खुल जाएगी। अस्पताल में उचित शारीरिक दूरी के नियम का पालन हो सकेगा। इससे अस्पताल में संक्रमण का खतरा घटेगा।