भगवान से बार-बार मांगना भी मानवीय दुर्बलता : अतुल
संवाद सूत्र रक्कड़ भगवान से विमुख जीव को जीवन में निराशा ही हाथ लगती है। लौकिक एवं पारलौ
संवाद सूत्र, रक्कड़ : भगवान से विमुख जीव को जीवन में निराशा ही हाथ लगती है। लौकिक एवं पारलौकिक सुखों से वे प्राणी वंचित रह जाते हैं, जो लोक नियंता श्रीहरि की भक्ति नहीं करते। हमें अपनी कमजोरी का त्याग करना चाहिए। भगवान से बार-बार मांगना भी एक मानवीय दुर्बलता है। हम ऐसा मान बैठते हैं कि जब तक हम भगवान को बताएंगे नहीं तब तक उन्हें हमारी जरूरतों की पूर्ति की चिता नही होगी, जबकि सच्चाई यह है कि प्रभु अंतर्यामी हैं, उन्हें बिना बताए ही सब कुछ पता है। रक्कड़ स्थित श्रीस्वस्थानी माता मंदिर में कथावाचक अतुल कृष्ण ने प्रभु का गुणगान किया।
उन्होंने कहा कि सभी व्रतों में उत्तम श्रीस्वस्थानी माता का व्रत है, जो शक्ति की आराधना करते हैं उन्हें इस संसार में सब कुछ प्राप्त हो जाता है। विपद काल में भगवान से ही हमारी रक्षा होगी। संसार के साधनों से नहीं। हम महंगे, चमकीले, मूल्यवान साधनों का, धन-संपत्ति का, उच्च प्रतिष्ठित लोगों, सत्ता शक्ति एवं अधिकार का जीवन भर संचय करते रहते हैं कि विपत्तियां हमसे दूर रहें। वास्तव में हमारे सारे उद्यम एवं परिश्रम विफल ही सिद्ध होंगे अगर हम प्रभु को भूल गए। जीवन में उच्च आदर्शो को अपनाने से हम संतुलित बनते हैं।
अतुल कृष्ण ने कहा कि मन के क्लेश को मिटाने का एक ही तरीका है देवी माता की उपासना। जब हम अपने अस्तित्व को पहचानने की यात्रा करते हैं तभी सत्य का बोध हो पाता है। संसार की आशक्ति में अंतत: हमें पछताना ही पड़ता है। जब कोई साथ नहीं निभाता तब महामाई की करुणा ही सहारा देती है। आज कथा में देव सृष्टि का वर्णन, मधु-कैटभ का संहार, देवी सती की उत्पत्ति, सती का भगवान शिव से विवाह, त्रिपुरासुर का वध एवं भगवान शिव-पार्वती के विवाह का प्रसंग का व्याख्यान किया गया। कथा 27 फरवरी तक चलेगी।