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HRTC Bus Service: किसान आंदोलन ने प्र‍भावित की लांग रूट बस सेवा, पढ़ें पूरा मामला

HRTC Bus Service किसान आंदोलन के कारण हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की लांग रूट की सभी बस सेवाएं प्रभावित हुई हैं। एक भी लांग रूट की बस अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाईक्योंकि किसान आंदोलन को लेकर यात्रियों में असमंजस की स्थिति बनी रही

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 09 Dec 2020 07:58 AM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 07:58 AM (IST)
HRTC Bus Service: किसान आंदोलन ने प्र‍भावित की लांग रूट बस सेवा, पढ़ें पूरा मामला
किसान आंदोलन के कारण हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की लांग रूट की सभी बस सेवाएं प्रभावित हुई हैं।

धर्मशाला, जेएनएन। किसान आंदोलन के कारण हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की लांग रूट की सभी बस सेवाएं प्रभावित हुई हैं। एक भी लांग रूट की बस अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाई, क्योंकि किसान आंदोलन को लेकर यात्रियों में असमंजस की स्थिति बनी रही कि आखिर गंतव्य तक ये बसें पहुंचेंगी भी या नहीं। हालांकि एचआरटीसी ने ये व्यवस्था कर रखी थी कि सभी क्षेत्रीय प्रबंधक पठानकोट, ऊना, चंडीगढ़ व परवाणु के आरएम से संपर्क स्थापित रखेंगे, ताकि परिस्थितियों के मुताबिक अन्य राज्यों के लिए धर्मशाला बस स्टैंड से दौड़ने वाली निगम की बसों को भेजा जा सके। लेकिन यात्रियों की उपलब्धता न होने के कारण निगम की बसें अपने गृह जिला तक ही सीमित रही।

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बात करें यदि धर्मशाला डिपो की लांग रूट की बसों की तो वह कांगड़ा या फिर बैजनाथ से आगे एक इंच भी नहीं हिल पाईं। वजह सीधी सी रही कि किसान आंदोलन के कारण असमंजस में फंसे यात्री लंबे सफर के लिए नहीं निकले।

60 में से 26 ही बसें दौड़ी

धर्मशाला डिपो के 60 में से 26 स्थानीय रूटों पर ही बसें दौड़ी। हालांकि लांग रूट के लिए बस स्टैंड से बसें तो निकली, लेकिन कांगड़ा और बैजनाथ से आगे नहीं बढ़ पाईं, क्योंकि इससे आगे के लिए चालकों व परिचालकों को यात्री ही नहीं मिले, जिस कारण वह इन स्थानों से आगे नहीं बढ़ पाए।

क्या कहते हैं क्षेत्रीय प्रबंधक

एचआरटीसी के धर्मशाला डिपो के क्षेत्रीय प्रबंधक पंकज चड्ढा के मुताबिक लॉग रूट के लिए पठानकोट, ऊना, चंडीगढ़ व परवाणु के क्षेत्रीय प्रबंधकों से संपर्क तो स्थापित किया गया था और लांग रूटों के लिए बसें भी चलाई गई, लेकिन बैजनाथ व कांगड़ा के आगे से यात्री ही नहीं मिल पाए। जिस कारण लांग रूटों की बसों को आगे नहीं भेजा गया।


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