श्री चामुंडा नंदिकेश्वर धाम के समीप ऐतिहासिक महत्व वाले दर्शनीय स्थल, महाभारत काल के भी अंश, जानिए
Historical Importance Place Kangra श्री चामुंड़ा नंदिकेश्वर धाम मंदिर के समीप ऐसे बहुत से ऐतिहासिक धार्मिक तथा संस्कृति का महत्व रखने वाले स्थल है जहां प्राचीन गाथाओं के दीदार होते हैं। लेकिन इनमें से कुछ स्थलों में प्राचीन भाषाओं और संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है।
योल, सुरेश कौशल। श्री चामुंड़ा नंदिकेश्वर धाम मंदिर के समीप ऐसे बहुत से ऐतिहासिक धार्मिक तथा संस्कृति का महत्व रखने वाले स्थल है, जहां प्राचीन गाथाओं के दीदार होते हैं। लेकिन इनमें से कुछ स्थलों में प्राचीन भाषाओं और संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है। उनमें से श्री चामुंडा से दो किलोमीटर दूर पठियार उपनगर है। पुराने समय में यह व्यापार का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। इस गांव के समीप टंबर में एक बड़ी शिला है। जिस पर ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में प्राचीन लेख अंकित हैं। आज दिन तक इस लिपि को समझने वाला कोई नहीं। यह भी एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है।
पठियार से एक किलोमीटर दूर लाखा मंडल नामक गांव है। जन श्रुति के अनुसार द्वापर युग में शकुनि ने दुर्योधन के बहनोई कांगड़ा के महाभारत कालीन राजा सुशर्म चंद्र से लाक्षा गृह का निर्माण करवाया था। यहां पर बहुत पुरानी पक्की ईंटें मिलती रही हैं। आज भी यह गांव लाखा मंडल से जाना जाता है।
कालांतर से यहां महात्मा बुद्ध की मूर्तियां भी प्राप्त हुई हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि यहां बौद्ध कालीन मठ रहा होगा। वर्तमान में इन बुद्ध की मूर्तियों को भाषा संस्कृति विभाग ने संग्रहालय में सुरक्षित रखा है। इसके अलावा यहां महाभारत कालीन भी कई अवशेष मिले हैं, इसी दृष्टि से यह स्थान भी ऐतिहासिक महत्व रखता है। इन शिलाओं को पुरातत्व विभाग ने भी संजोकर रखा हुआ है और इन शिलाओं का हिमाचल के सामान्य ज्ञान में भी वर्णन मिलता है।