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अटल टनल रोहतांग के निर्माण में सामने आई थी यह बड़ी बाधा, बीआरओ ने इस तरह पाया पार

Atal Tunnel Rohtang अटल टनल रोहतांग के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा सेरी नाला बना। साउथ पोर्टल से करीब 1800 मीटर की दूरी पर एकाएक नाला आ गया। टनल निर्माण में बाधा बन गया। नाले के पानी के आगे इंजीनियर व मजदूर विशेषज्ञ बेबस हो गए।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2020 10:25 AM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2020 10:25 AM (IST)
अटल टनल रोहतांग के निर्माण में सामने आई थी यह बड़ी बाधा, बीआरओ ने इस तरह पाया पार
अटल टनल रोहतांग के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा सेरी नाला बना।

केलंग, जागरण संवाददाता। अटल टनल रोहतांग के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा सेरी नाला बना। साउथ पोर्टल से करीब 1800 मीटर की दूरी पर एकाएक नाला आ गया। टनल निर्माण में बाधा बन गया। नाले के पानी के आगे इंजीनियर व मजदूर विशेषज्ञ बेबस हो गए। कई बार बाढ़ जैसे हालत बन गए। डर के मारे काम रोक दिया गया। नाले की लंबाई 587 मीटर थी। प्रति मिनट 8000 लीटर पानी बहना शुरु हो गया। एक दिन में चार मीटर खोदाई का लक्ष्य मात्र आधे मीटर पर आकर अटक गया। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने आस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों की मदद ली।

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विशेषज्ञों ने पानी का बहाव रोकने के कई उपाय किए, लेकिन नाले के आगे हाथ खड़े कर दिए। एक समय ऐसा आया कि टनल अब नहीं बन पाएगा, लेकिन बीआरओ ने हौसला ने हारा। चट्टान जैसे मजबूत इरादे लेकर मोर्चे पर डटे रहे। पानी का रिसाव रोकने के लिए टनल की छत पर पाइप से छतरी बनाई। पाइप के माध्यम से पानी ड्रेन कर आपात निकासी टनल में डाल दिया। टनल निर्माण में 10 साल तक 3000 मजदूरों, 650 इंजीनियर व कर्मचारियों ने तीन शिफ्टों में काम किया। टनल निर्माण के लिए अक्टूबर 2010 को पहला ब्लास्ट किया गया था। 15 अक्टूबर 2017 को अंतिम ब्लास्ट हुआ था।

अपनानी पड़ी ब्लास्टिंग तकनीक

अटल टनल रोहतांग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) से करने का खाका तैयार किया गया था, लेकिन जल्द ही बीआरओ व कंस्ट्रक्शन कंपनियोंं को अपना इरादा त्यागना पड़ा। इसके बाद खोदाई व ब्लास्‍ट‍िंग तकनीक अपनाई गई। इसके लिए साउथ पोर्टल को चुना गया। टनल का 75 फीसद काम साउथ पोर्टल से हुआ।

बर्फीले तूफान व 30 डिग्री सेल्सियस में काम

टनल निर्माण में मौसम भी बड़ी बाधा बना। मजदूरों व इंजीनियरों को कई बार बर्फीले तूफान का सामना करना पड़ा। कई बार 30 डिग्री सेल्सियस में काम करना पड़ा, लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं हारी।

बाधाएं आईं पर हिम्‍मत नहीं हारी : बीआरओ

डीजी बीआरओ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह का कहना है सेरी नाला टनल निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बना, लेकिन किसी ने हिम्मत नहीं हारी। 10,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे बड़ी 9.02 किलोमीटर यातायात टनल बनाकर ही दम लिया।

कब क्या हुआ

  • मई 1990 में टनल की फिजिकल रिपोर्ट तैयार हुई।
  • जून 2004 में भूगर्भीय सर्वेक्षण हुआ
  • जुलाई 2006 में डिजाइन को मंजूरी
  • 2005 में कैबिनेट कमेटी ऑन डिफेंस ने मंजूरी दी
  • 2007 में टेंडर अवार्ड हुआ
  • 2010 में टनल की आधारशिला रखी गई।

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