हिमफेड ने इफको से 4000 टन खाद मांगी, मिली सिर्फ 700 टन
सेब सीजन खत्म होने के बाद बगीचों को तैयार करने का काम शुरू हो गया है और इसके लिए सेब के पौधों को खाद की जरूरत रहती है। सेब बहुल क्षेत्रों के साथ प्रदेश के निचले मैदानी क्षेत्रों में रबी की फसल के लिए किसान खाद खरीद करना चाहते हैं।
राज्य ब्यूरो, शिमला : सेब सीजन खत्म होने के बाद बगीचों को तैयार करने का काम शुरू हो गया है और इसके लिए सेब के पौधों को खाद की जरूरत रहती है। सेब बाहुल क्षेत्रों के साथ-साथ प्रदेश के निचले और मैदानी क्षेत्रों में रबी की फसल के लिए किसान खाद खरीद करना चाहते हैं।
वर्तमान में प्रदेश के सेब उत्पादक क्षेत्रों के साथ-साथ अन्य भाग में खाद की कमी महसूस की जा रही है। इफको से सरकार को पर्याप्त मात्रा में खाद की आपूर्ति नहीं हो रही है। सरकार की खाद खरीद एजेंसी हिमफेड ने इफको से करीब 4000 टन खाद की मांग की थी, मगर अभी तक केवल 700 टन खाद की आपूर्ति हुई। खाद की कमी को देखते हुए हिमफेड लगातार इफको को खाद की आपूर्ति बढ़ाने के लिए स्मरण पत्र भेज रहा है। हिमफेड के अध्यक्ष गणेश दत्त ने बताया कि खाद की आपूर्ति बढ़ाने के लिए इफको को पत्र लिखा है। हिमाचल संयुक्त किसान मंच ने भी प्रदेश में खाद की कमी पर ङ्क्षचता जताते हुए सरकार से खाद की कमी दूर करने के लिए ठोस प्रबंध करने को कहा है।
खाद के लिए हिमफेड ही सरकारी एजेंसी
हिमफेड राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में खाद की आपूर्ति करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी है। इफको से खाद की खरीद कर हिमफेड बागवानों व किसानों को उपलब्ध करवाता है। सेब बाहुल क्षेत्रों में सेब बगीचों में दिसंबर से फरवरी मार्च तक बागवान व किसान खाद का छिड़काव करते हैं। यहां 12, 32 , 16 नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटेशियम खाद का अधिक उपयोग होता है। नाइट्रोजन की आवश्यकता पौधों के लिए होती है। यह पौधों में पोषक तत्वों को बढ़ाने में मददगार साबित होती है।
कांग्रेस विधायक ने उठाए सवाल
शुक्रवार को हिमफेड ने जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र के लिए 145 बैग एनपीके खाद के भेजे। जुब्बल-कोटखाई राज्य का प्रमुख सेब उत्पादक क्षेत्र है। शिमला जिला में सेब का 45 फीसद उत्पादन इसी क्षेत्र से होता है। 145 बैग खाद के भेजे जाने पर कांग्रेस व किसान सभा ने सवाल उठाए हैं। जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक रोहित ठाकुर का कहना है कि सरकार किसानों की आय दोगुना करने का प्रयास कर रही है तो खाद की कमी के चलते कैसे आय दोगुना होगी।