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आखिर सरकार ने हिमाचल में क्‍यों टाल दिया वीकेंड कर्फ्यू, पाबंदियों पर क्‍या रहेगी आगे स्थिति, जानिए

Himachal Weekend Curfew हिमाचल सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य में वीकेंड कर्फ्यू लगाने की लगभग पूरी तैयार कर ली थी। जिसके तहत पहले चरण में सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति को आधा किया गया। उसके बाद रात्रि कर्फ्यू लगाया गया।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 06:25 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 09:11 AM (IST)
आखिर सरकार ने हिमाचल में क्‍यों टाल दिया वीकेंड कर्फ्यू, पाबंदियों पर क्‍या रहेगी आगे स्थिति, जानिए
हिमाचल प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर। फाइल फोटो

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Himachal Weekend Curfew, हिमाचल सरकार ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य में वीकेंड कर्फ्यू लगाने की लगभग पूरी तैयार कर ली थी। जिसके तहत पहले चरण में सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति को आधा किया गया। उसके बाद रात्रि कर्फ्यू लगाया गया। शुक्रवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में लोगों को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सरकार और बंदिशें लगा देगी, क्‍योंकि कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब लोगों के जहन में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार ने ऐसा क्‍याें किया। क्‍या कोरोना संक्रमण का असर कम हो गया है या फ‍िर कोई और कारण है?

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दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीधा संदेश दिया कि राज्‍य सरकारें बंदिशें बढ़ाने के दौरान गरीब आदमी की रोजी-रोटी का जरूर ध्‍यान रखें। सरकार की पाबंदियों से किसी की रोजी-रोटी पर संकट नहीं आना चाहिए। इसके बाद सरकार को वीकेंड कर्फ्यू की तैयारी को बदलना पड़ा। पीएम ने स्‍पष्‍ट संदेश दिया है कि सख्त एहतियाती उपायों के साथ आर्थिक गतिविधियां चलती रहनी चाहिएं।

मौजूदा समय में रात दस से सुबह पांच बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू है। इसके अलावा सभी शिक्षण संस्‍थान 26 जनवरी तक बंद हैं। सरकारी कार्यालयों में पचास प्रतिशत स्‍टाफ के साथ फाइव डे वीक है।

अधिकारियों ने भी दे दिया था सुझाव

प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण की पहली लहर से सबक लेकर बहुत सजग हो चुकी है। दूसरी लहर में भी बाहर से आने वाले लोगों को पेश आ रही समस्याओं को देखते हुए सरकार तीसरी लहर में किसी प्रकार का जोखिम उठाना नहीं चाहती। इस कारण साप्ताहिक कर्फ्यू के बजाय सप्ताह के अंत में दो दिनों के लिए कर्फ्यू लगाना उचित समझा जा रहा था। सरकार के आला अधिकारियों की ओर से भी इस तरह का सुझाव दिया गया था कि ऐसा करने से कोरोना संक्रमण की चेन टूटेगी और राज्य में कोरोना संक्रमण का ग्राफ नीचे गिरने लगेगा।

वैक्सीन की दोनों डोज सबसे बड़ा कारण

प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बावजूद वीकेंड कर्फ्यू सहित और पाबंदियां न लगाने का बड़ा कारण वैक्सीनेशन भी रहा। प्रदेश की पात्र जनसंख्या को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। ऐसे में प्रदेश के लोगों को तीसरी लहर में संक्रमण का अधिक घातक प्रभाव नहीं पड़ सकता। वैक्सीनेशन के बावजूद सरकार ने लोगों को एहतियातन मास्क लगाना और शारीरिक दूरी का पालन करना सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है। प्रशासन सभी जिलों में इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रहा है।

10 लाख लोग दैनिक कामकाज पर निर्भर

प्रदेश में 10 लाख लोग दैनिक कामकाज करके रोजी-रोटी कमाते हैं। इनमें निर्माण क्षेत्र के कामगारों के अतिरिक्त किसान, दुकानों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर रोजाना काम करने वाले सेल्समैन भी शामिल हैं। शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्र में निर्माण कार्य सबसे अधिक रोजगार के अवसर चलाए हुए हैं। राज्य में लघु उद्योग क्षेत्र की सेवाओं में दो से तीन लाख लोग रोजगार प्राप्त करते हैं।

पाबंदियां लगाने की बजाय दे दी रियायत

हिमाचल सरकार ने और पाबंदियां लगाने की बजाय रियायत दे दी। अब धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति दे दी गई है। इसके अलावा पर्यटकों के आने पर भी किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। इस कारण प्रदेश की आर्थिक गतिविधियां चलती रहेंगी। बड़ी राहत की बात यह है कि अब प्रदेश में और पाबंदियां लगाए जाने की संभावना कम ही है।


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