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बर्फबारी के कारण बंद हो गया हिमाचल के दुर्गम गांव का मार्ग, मार्च-अप्रैल में ही होगी आवाजाही शुरू, जानिए

Himachal Inaccesible Village Bara Bhangal हिमाचल प्रदेश की अति दुर्गम पंचायतों में से एक बड़ा भंगाल का रास्ता बर्फबारी के कारण बंद हो गया है। जिला कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल की इस पंचायत तक बीड़ बिलिंग होकर मुख्य पैदल रास्ता है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 09:00 AM (IST)
बर्फबारी के कारण बंद हो गया हिमाचल के दुर्गम गांव का मार्ग, मार्च-अप्रैल में ही होगी आवाजाही शुरू, जानिए
हिमाचल प्रदेश की अति दुर्गम पंचायतों में से एक बड़ा भंगाल का रास्ता बर्फबारी के कारण बंद हो गया है।

बैजनाथ, संवाद सहयोगी। Himachal Inaccesible Village Bara Bhangal, हिमाचल प्रदेश की अति दुर्गम पंचायतों में से एक बड़ा भंगाल का रास्ता बर्फबारी के कारण बंद हो गया है। जिला कांगड़ा के बैजनाथ उपमंडल की इस पंचायत तक बीड़ बिलिंग होकर मुख्य पैदल रास्ता है। इस रास्ते में आने वाले थमसर ग्लेशियर में बर्फबारी का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे में अब यह रास्ता अप्रैल महीने के बाद ही खुल पाएगा। सर्दियों को देखते हुए बड़ा भंगाल पंचायत के काफी लोग नवंबर में ही बीड़ वापस आ गए हैं। अब वहां कुछ लोग ही बाकी हैं, हालांकि अभी बाया चंबा होकर आने वाला रास्ता खुला है। लेकिन बर्फबारी का दौर अगर ऐसे ही रहा, तो इसी महीने बाया चंबा मार्ग भी बंद हो सकता है।

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बड़ा भंगाल के पंचायत प्रधान मंसाराम भंगालिया ने बताया बर्फबारी से थमसर ग्लेशियर का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया है। शुक्रवार सुबह से इस मार्ग में कई जगह पर बर्फबारी की सूचना है। लगातार दो दिनों तक मौसम खराब होने के बाद शनिवार को मौसम साफ हो गया है। सुबह से ही धूप निकली है। हालांकि हल्के बादल उमड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक मौसम पूरी तरह से साफ है और अच्छी धूप भी निकली है।

कहां है बड़ा भंगाल

बड़ा भंगाल पंचायत अति दुर्गम पंचायत है। यहां तक पहुंचने के लिए केवल पैदल रास्ता है। इसमें बाया बीड़ बिलिंग होकर करीब 70 किलोमीटर का रास्ता है। इसमें थमसर ग्लेशियर आता है। इस रास्ते से होकर बड़ा भंगाल दो से तीन दिन में पहुंचा जा सकता है। जबकि दूसरा रास्ता चंबा जिला के होली होकर है। इस रास्ते से भी 2 से 3 दिन का समय लगता है। इस पंचायत की आबादी करीब 630 है। सर्दियों में यहां के लोग बीड़ में पलायन कर जाते हैं और गांव की देखभाल के लिए 15-20 लोग ही रहते हैं।


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