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हिमाचल के गन्‍ना उत्‍पादकों को 35 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम मिलने से किसान परेशान, विधायक से मिला प्रत‍िनिधिमंडल

Himachal Sugar Cane Farmers विधानसभा क्षेत्र इंदौरा के गन्ना उत्पादकों का एक शिष्टामंडल गन्ना बेचने में आ रही समस्याओं और पंजाब के मुकाबले कम दाम मिलने को लेकर विधायक रीता धीमान से मिला। वहीं विधायक इंदौरा ने गन्ना उत्पादकों को आ रही समस्याओ का जल्द निपटारा करवाने का आश्वासन दिया।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 12:29 PM (IST)
हिमाचल के गन्‍ना उत्‍पादकों को 35 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम मिलने से किसान परेशान, विधायक से मिला प्रत‍िनिधिमंडल
गन्ना उत्पादकों का एक शिष्टामंडल कम दाम मिलने को लेकर विधायक रीता धीमान से मिला।

इंदौरा, संवाद सूत्र। Himachal Sugar Cane Farmers, विधानसभा क्षेत्र इंदौरा के गन्ना उत्पादकों का एक शिष्टामंडल गन्ना बेचने में आ रही समस्याओं और पंजाब के मुकाबले कम दाम मिलने को लेकर विधायक रीता धीमान से मिला। वहीं विधायक इंदौरा ने गन्ना उत्पादकों को आ रही समस्याओ का जल्द निपटारा करवाने का आश्वासन दिया। क्षेत्र में गन्ना उत्पादक अनूप ठाकुर व सुरेश कुमार ने बताया कि दशकों से वह गन्ना व गेहूं का उत्पादन करके ही अपनी आजीविका कमा रहे हैं। अब महंगाई बढ़ती जा रही है। हिमाचल सरकार ने प्रदेश के गन्ना उत्पादकों के लिए खरीद केंद्र तो बनाए हैं, लेकिन इन केंद्रों में प्रति क्विंटल 35 रुपये दाम कम मिल रहा है। ऐसे में उन्हें पंजाब में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।

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यहां बता दें कि ब्लाक इंदौरा के गन्ना उत्पादक 1991-92 से इंडियन सूकरोज़ लिमिटेड मिल मुकेरियां  (पंजाब) से अग्रीमेंट के तहत गन्ने की फसल की सप्लाई करते आ रहे हैं तथा हिमाचल के 37 गांवों के 753 कृषक अपनी 3700 एकड़ गन्ने की तैयार फसल पंजाब में बेचने को तैयार बैठे हैं, जिसकी अनुमानित राशि 40 करोड़ से भी अधिक है। लेकिन यह मिल पंजाब में होने के कारण वहां के गन्ना उत्पादकों को 325 रुपये तथा पंजाब सरकार द्वारा बोनस के रूप में 35 रुपये सहित 360 रुपये प्रति क्विंटल रेट का भुगतान करेगी। जबकि हिमाचल के गन्ना उत्पादकों को 325 रुपये प्रति क्विंटल ही दिया जाएगा। उन्हें 35 रुपये प्रति क्विंटल कम रेट मिलेगा।

जिस कारण किसानों में भारी निराशा व हिमाचल सरकार के प्रति रोष है। 325 रुपये प्रति क्विंटल रेट पर मिल को गन्ना देना उनकी मजबूरी भी है क्योंकि आस पास हिमाचल में कोई भी गन्ना फैक्टरी नहीं है, जहां पर किसान अपना गन्ना बेच सकें। इस प्रकार गन्ना उत्पादक संघर्ष और मजबूरी की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं।


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