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मेजर दीक्षांत थापा को मां ने सेल्‍यूट कर दी विदाई, चार साल पहले हुए थे सेना में शामिल; लेह में दिया बलिदान

Himachal Soldier Martyrdom तहसील इंदौरा के गांव बाड़ी निवासी शहीद मेजर दीक्षांत थापा को उसकी मां दीपा थापा ने सेल्यूट कर विदा किया।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 04:38 PM (IST)
मेजर दीक्षांत थापा को मां ने सेल्‍यूट कर दी विदाई, चार साल पहले हुए थे सेना में शामिल; लेह में दिया बलिदान
मेजर दीक्षांत थापा को मां ने सेल्‍यूट कर दी विदाई, चार साल पहले हुए थे सेना में शामिल; लेह में दिया बलिदान

भदरोआ, मुकेश सरमाल। तहसील इंदौरा के गांव बाड़ी निवासी शहीद मेजर दीक्षांत थापा को उसकी मां दीपा थापा ने सेल्यूट कर विदा किया। शहीद का पार्थिव शरीर मंगलवार को लद्दाख के लेह से सुबह पठानकोट हवाई अड्डे पहुंचा। सैन्य सम्मान के साथ सेना के जवान पार्थिव देह को घर तक लेकर आए। बाड़ी गांव में ही शहीद मेजर दीक्षांत थापा पंचतत्व में विलीन हो गए। छोटे भाई निशांत थापा ने मुखाग्नि दी। सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर नजदीक के कई गांवों के लोग उमड़ पड़े व शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। मां दीपा थापा, पिता दीपक थापा व भाई निशांत थापा इस दुख की घड़ी में गहरे सदमे में है। मां ने देश के लिए शहीद हो गए बेटे मेजर दीक्षांत थापा को सेल्यूट करके अंतिम विदाई दी।

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मेजर के शहीद होने पर पूरे गांव में शोक है। जैसे ही शव गांव में पहुंचा युवाओं ने मेजर दीक्षांत अमर रहे भारत मां की जय के जयघोष से शहीद को श्रद्धांजलि दी। शहीद अंतिम विदाई में एसडीएम इंदौरा सोमिल गौतम, विधायक रीता धीमान, नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दिनेश शर्मा सहित सैन्य अधिकारियों सहित गणमान्य मौजूद रहे।

 

चार साल पहले कमीशन पास कर बने थे कैप्टन

मेजर दीक्षांत थापा सेना के मेकेनिकल विंग सिक्स मैक के 140 रेजीमेंट में थे। वर्तमान में लद्दाख के लेह में तैनात थे। मेजर दीक्षांत थापा सेना की मैकेनिकल इन्‍फेंट्री के अधिकारी थे। बीते रविवार जब वह सैन्य  टैंक को सिविल गाड़ी में लोड कर रहे थे तो हादसे में उनकी मौत हो गई । मेजर थापा अभी मात्र 26 साल के थे। वह अभी अविवाहित थे। उनकी माता दीपा थापा गृहिणी हैं। भाई निशांत थापा अभी अध्ययन कर रहा है और पिता दीपक थापा पूर्व सैनिक हैं और वर्तमान में कर्नाटक में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मेजर थापा चार साल पहले ही कमीशन पास करके कैप्टन बने थे। मेजर दीक्षांत की मौत से पूरे क्षेत्र में शोक है।

शहीद मेजर का धर्मशाला योल है पैतृक गांव

शहीद मेजर दीक्षांत थापा का पैतृक गांव धर्मशाला के साथ योल है। यहां से परिवार करीब सात साल पहले ही कंदरोड़ी की पंचायत तौकी के गांव बाड़ी में जा बसा था। यहीं पर यह परिवार रह रहा था। जबकि मृतक मेजर के चाचा प्रकाश थापा यहीं योल में रहते हैं और अभी चाचा भी सेना में हैं। आरएस राणा ने बताया कि मेजर दीक्षांत थापा उनके रिश्तेदारी में है और पहले यह परिवार योल में रहता था अब बाड़ी में जा बसा है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है।


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