संयुक्त कर्मचारी संघ ने पंजाब की तर्ज पर दिसंबर 2011 से मांगा बढ़ी ग्रेड-पे का लाभ, आठ सूत्रीय मांग पत्र सौंपा
Himachal Sanyukt Karamchari Sangh हिमाचल प्रदेश में छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद अब वेतन विसंगतियों का मुद्दा गरमाने लगा है। इसी मुद्दे पर शिमला में शुक्रवार को नवगठित हिमाचल संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मुलाकात की
शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Sanyukt Karamchari Sangh, हिमाचल प्रदेश में छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद अब वेतन विसंगतियों का मुद्दा गरमाने लगा है। इसी मुद्दे पर शिमला में शुक्रवार को नवगठित हिमाचल संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। महासंघ ने सरकार से बढ़ी हुई ग्रेड-पे का लाभ अक्टूबर, 2012 के बजाय पंजाब की तर्ज पर दिसंबर, 2011 से देने व वेतन विसंगतियों को दूर करने की भी मांग की। अतिरिक्त मुख्य सचिव के साथ बैठक में विसंगतियों के कारण कर्मचारियों को हो रहे नुकसान बारे चर्चा की गई। वेतन विसंगतियों को दूर करने के लिए कर्मचारी संघ ने आठ सूत्रीय मांग पत्र सरकार के समक्ष रखा और विसंगतियों को दूर करने के सुझाव भी दिए।
महासंघ के नेताओं ने कहा कि कैरियर आश्वासित प्रगति (एसीपी) के लाभ में निरंतरता को बहाल किया जाए। बढ़ी हुई ग्रेड पे के लाभ के लिए प्रदेश सरकार द्वारा रखी दो वर्ष की नियमित सेवाकाल की शर्त को इसके लागू होने की डेट से खत्म किया जाए और कर्मचारियों को इसका एक जनवरी, 2016 काल्पनिक लाभ देकर वेतन निर्धारण किया जाए, ताकि कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर संशोधन में इसका लाभ मिल सके।
महासंघ ने अतिरिक्त मुख्य सचिव से प्रदेश के कर्मचारियों को पंजाब की तर्ज पर साल 2009 के बाद पे-बैंड का न्यनूतम वेतन की जगह पे-बैंड का प्रारंभिक वेतन प्लस ग्रेड पे देने की मांग भी की। साथ ही पंजाब की तर्ज पर प्रदेश के कर्मचारियों को 15 प्रतिशत की सुनिश्चित वेतन बढ़ोतरी का लाभ हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को भी किया जाए। कर्मचारियों ने कहा कि प्रदेश में अधिकतर वेतन विसंगतियां टाइम स्केल के लाभों में बार बार बदलाव के कारण उत्पन्न हुई है।
इन विसंगतियों से प्रभावित कर्मचारियों को स्टेपिंग अप का लाभ दिया जाए और नियमों में संशोधन वेतनमान की अधिूसचना 3 जनवरी, 2022 से हटाया जाए। सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन को भी फौरी तौर पर संशोधित करने की मांग महासंघ के नेताओं ने की। महासंघ ने सरकार को मांग पत्र पर गौर करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। मांगें न माने जाने की स्थिति में महासंघ आगामी रणनीति तय करेगा।