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बागवानों के लिए संजीवनी बनकर बरसी बर्फ और बारिश, सेब के पौधों लिए दिसंबर की बर्फ होती है लाभकारी

हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई पर हुई बर्फबारी किसान बागवानों के लिए संजीवनी बनकर बरसी है। ऊंचाई और मध्यम इलाकों में भारी हिमपात होने से बागवानों को सेब की बंपर फसल होने की उम्मीद जगी है। वहीं निचले क्षेत्रों में भी झमाझम बारिश ने बागवानों खुश हुए हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 06:35 AM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 07:51 AM (IST)
हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई पर हुई बर्फबारी किसान बागवानों के लिए संजीवनी बनकर बरसी है।

कुल्लू, संवाद सहयोगी। हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई पर हुई बर्फबारी किसान बागवानों के लिए संजीवनी बनकर बरसी है। ऊंचाई और मध्यम इलाकों में भारी हिमपात होने से बागवानों को सेब की बंपर फसल होने की उम्मीद जगी है। वहीं निचले क्षेत्रों में भी झमाझम बारिश ने बागवानों खुश हुए हैं। ताजा बर्फबारी और बारिश से सेब फसल के लिए आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे होने की संभावनाएं लगभग बढ़ गई हैं। यदि सेब की फ्लावरिंग तक मौसम ने इसी तरह साथ दिया तो निश्चित तौर पर सेब की बंपर फसल होने से करोड़ों का कारोबार हो सकता है।

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बागवानी विशेषज्ञों की मानें तो सेब की डिलिशियस वैरायटी के लिए दिसंबर से फरवरी तक करीब 1200 घंटे से 1800 घंटे चिलिंग आवर्स आवश्यक होते हैं। जबकि दूसरी फलों के लिए 800 से लेकर एक हजार तक चिलिंग आवर्स की आवश्यकता रहती है। जिला कुल्लू में फल उत्पादन कुल 31118.12 हेक्टेयर भूमि में सेब, प्लम, नाशपाती, अनार, जापानी फल व अन्य फलों का 99699.57 टन उत्पादन होता है। इसमें सेब की सामान्य किस्में 24919.50 हेक्टेयर भूमि पर पैदावार होती है। इसके अलावा स्पर किस्में 2290.37 हेक्टेयर भूमि पर होती है। मौसम को देखकर इस बार सेब की पैदावार पिछले वर्ष से अधिक होने का अनुमान है इसके लिए मौसम पर निर्भर है। अगर मौसम ऐसा ही रहा तो घाटी के बागवान मालामाल हो जाएंगे।

सेब के बगीचों के कार्य में जुटे बागवान

इन दिनों कुल्लू जिला के खराहल, मनाली, मणिकर्ण, बंजार, सैंज, आनी, निरमंड के किसान बागवान अपने अपने बगीचों के कार्य में जुटे हैं। इस दौरान पेड़ों की कांट छांट, तैलिए बनाने, खरपतवार को हटाने, नए पौधे लगाने के लिए गडढ़े बनाने में जुटे हुए हैं। इसके लिए अभी से बागवान सेब की अच्छी वैरायटी के पौधों की बुकिंग करना आरंभ कर दिया है।

कितने हेक्टेयर में कितना होता है उत्पादन

जिला में वर्ष 2020-21 में सेब 24919.50 हेक्टेयर भूमि में 92260 टन उत्पादन, प्लम 2158.40 हेक्टेयर भूमि में 3999.28 टन उत्पादन, नाशपाती 383.45 हेक्टेयर भूमि में 1588.68 टन उत्पादन, अनार 403.20 हेक्टेयर भूमि में 634.54 टन उत्पादन, जापानी फल 216.20 हेक्टेयर भूमि में 702 टन उत्पादन, अन्य फल 747 हेक्टेयर भूमि में 515.07 टन उत्पादन होता है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

विषय विशेषज्ञ बागवानी विभाग कुल्लू उत्तम पराशर का कहना है इस बार के मौसम से किसान बागवान खुश है। इन दिनों बगीचों के कार्य में व्यस्त होते हैं इसके लिए नमी का होना अति आवश्यक होता है। बारिश और बर्फबारी से अभी तक चिलिंग आवर्स भी ठीक है। मौसम ऐसा ही रहा तो चिलिंग आवर्स पूर्ण हो सकते हैं।


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