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हिमाचल: निजी विवि ने चार विद्यार्थियों को नियमों काे ताक पर रखकर करवाई डिग्री, आयोग ने की बड़ी कार्रवाई

Himachal Pradesh Private University नियमों को ताक पर रखकर चार विद्यार्थियों को डिग्री करवाने और छात्रवृत्ति देने के मामले में हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने ऊना जिला स्थित इंडस विश्वविद्यालय पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:05 AM (IST)
हिमाचल: निजी विवि ने चार विद्यार्थियों को नियमों काे ताक पर रखकर करवाई डिग्री, आयोग ने की बड़ी कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है।

शिमला, जागरण संवाददाता। नियमों को ताक पर रखकर चार विद्यार्थियों को डिग्री करवाने और छात्रवृत्ति देने के मामले में हिमाचल प्रदेश निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग ने बड़ी कार्रवाई की है। आयोग ने ऊना जिला स्थित इंडस विश्वविद्यालय पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। शिक्षा नियामक आयोग ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को पत्र लिखकर उक्त चार विद्यार्थियों की डिग्री को रद करने की सिफारिश की है। इन विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में नौकरी करने के साथ यहीं प्रोफेशनल डिग्री की। इनमें एक छात्रा भी शामिल है।

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नियामक आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अतुल कौशिक की ओर से यह आदेश जारी किए गए हैं। आयोग ने डीजीपी संजय कुंडू को निर्देश दिए हैं कि वह एसपी ऊना से इस पूरे मामले की दोबारा से जांच करवाएं और एफआइआर दर्ज करें।

करीब दो साल पहले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला में पढऩे वाले एक छात्र ने इस मामले की शिकायत निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग के पास की थी। आरोप था कि इस विश्वविद्यालय में कुछ फैकल्टी ऐसी रखी गई है जो यहां पर पढ़ाई कर रही है। कुलपति की योग्यता पर भी सवाल उठाए थे। आयोग ने शिकायत के आधार पर जांच कमेटी गठित की थी। कमेटी ने इस विश्वविद्यालय का दौरा कर पूरा रिकार्ड कब्जे में लिया।

विश्वविद्यालय प्रशासन को आयोग की अदालत में तलब किया गया। जांच में पाया गया कि दो छात्र जो विश्वविद्यालय की परीक्षा शाखा में कार्यरत थे। वह यहां से रेगुलर प्रोफेशनल डिग्री कर रहे थे। नियमों के तहत प्रोफेशनल कोर्स करने के लिए नौकरी से छुट्टी लेनी पड़ती है। इस केस में ऐसा नहीं किया गया। कुछ छात्रों को वर्क अनुभव गलत तरीके से दिया गया था। एक छात्र ने विश्वविद्यालय में नौकरी करते हुए प्रोफेशनल डिग्री भी की और एससी-एसटी छात्रवृत्ति भी ली।

असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए अनुभव पत्र भी एक छात्र को दिया गया जबकि उस वक्त वह परीक्षा शाखा में कार्यरत था। परीक्षा शाखा में प्रश्नपत्र सेट करने से लेकर पेपर चेकिंग का कार्य भी होता है। आयोग ने 30 दिन के भीतर जुर्माने की राशि जमा करवाने को कहा है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि भविष्य में ऐसा होता है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग को भी जांच करने को कहा है।


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