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हिमाचल का ऐसा मंदिर जहां प्रेमी जोड़े को मिलती है शरण, पुलिस के आने पर भी है रोक, पढ़ें और भी रोचक तथ्‍य

Himachal Pradesh Famous Temple हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्‍थल हैं। कुल्‍लू जिला में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है। जहां प्रेमी जोड़े को शरण दी जाती है। इस मंदिर शंगचुल महादेव के नाम से जाना जाता है। शंगचुल महादेव मंदिर कुल्लू जिले के शांघड़ गांव में स्थित है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 01:09 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 03:31 PM (IST)
हिमाचल का ऐसा मंदिर जहां प्रेमी जोड़े को मिलती है शरण, पुलिस के आने पर भी है रोक, पढ़ें और भी रोचक तथ्‍य
हिमाचल प्रदेश के कुल्‍लू जिला में स्थित शंगचुल महादेव का मंदिर।

कुल्लू, दविंद्र ठाकुर। हिमाचल प्रदेश में कई धार्मिक स्‍थल हैं, जिनकी ऐतिहासिक मान्‍यताओं का आज भी निर्वहन किया जाता है। प्रदेश के लोग देवी-देवताओं पर अटूट आस्था रखते हैं। यहां पर देवी-देवताओं के हज़ारों मंदिर हैं, जिनके पीछे कोई ना कोई पौराणिक कहानी जुड़ी है। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर कुल्लू जिले में भी है। जिसे शंगचुल महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। शंगचुल महादेव मंदिर कुल्लू जिले के शांघड़ गांव में स्थित है।

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मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले प्रेमी जोड़े को महादेव की शरण मिलती है। सबसे रोचक बात तो यह है कि जो भी प्रेमी जोड़ा भाग कर आता है, जिनके प्रेम को परिवार, समाज स्वीकार नहीं करता है मंदिर में महादेव उनको शरण देते हैं। इतना ही नहीं उनकी रक्षा भी करते हैं। इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से बताया जाता है। इस मंदिर का क्षेत्र करीब 11 बीघा में फैला हुआ है। मंदिर परिसर की सीमा के अंदर आते ही प्रेमी जोड़े का कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता है।

पांडवों को दी थी शरण

मान्यता है कि अज्ञातवास के समय पांडव यहां कुछ समय के लिए रुके थे। पांडवों का पीछा करते हुए कौरव भी यहां पर पहुंच गए थे। तब शंगचुल महादेव ने कौरवों को रोका था और कहा था कि यह मेरा क्षेत्र है, यहां जो भी आएगा, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। कहा जाता है कि यह सुनकर कौरव महादेव के भय से लौट गए थे। तब से मंदिर में जो भी शरण लेने आता है उसको महादेव का शरणार्थी माना जाता है। इसलिए प्रेमी जोड़े को भी यहां सुरक्षित माना जाता है।

मंदिर के पुजारी करते हैं देखभाल

जो प्रेमी जोड़े शादी करने के उद्देश्य से इस मंदिर में आते हैं उन्हें मेहमान माना जाता है और जब तक उनके परिवार दोनों की शादी के लिए राजी नहीं होते तब तक मंदिर के पुजारी उनकी देखभाल करते हैं।

पुलिस के आने पर है रोक

यहां के लोग आज भी अपनी विरासत का पालन कर रहे हैं। यही कारण है कि आज भी यहां पुलिस के आने पर प्रतिबंध है। इसके अलावा यहां शराब, सिगरेट या चमड़े का सामान लाना भी मना है।  यहां पर ऊंची आवाज़ में बात करने पर भी रोक है।


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