हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा, पीएचसी को आइसीयू अस्पताल में बदलने के लिए क्या किया
हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार को यह बताने के आदेश दिए कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को आक्सीजन सुविधा युक्त आइसीयू अस्पताल में तब्दील करने में क्या कदम उठाए हैं। कोरोना संक्रमण के चलते चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाए जाने की मांग पर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिए।
विधि संवाददाता, शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को यह बताने के आदेश दिए कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को आक्सीजन सुविधा युक्त आइसीयू अस्पताल में तब्दील करने में अभी तक क्या कदम उठाए हैं। कोरोना संक्रमण के चलते चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाए जाने की मांग पर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिए।
इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि सभी राज्य सरकारों को आदेश जारी कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को 30 बिस्तर वाले आक्सीजन सुविधा युक्त आइसीयू अस्पताल बनाने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी व न्यायाधीश अनूप चिटकारा की खंडपीठ के समक्ष प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि कोरोना टेस्टिंग औसतन 14 हजार प्रतिदिन हो रही है। सोमवार को 11 हजार टेस्ट किए गए। कोर्ट ने कहा कि यदि युद्धस्तर पर (20 से 30 हजार) टेस्ट प्रतिदिन नहीं करवाए गए तो मृत्युदर अनुपात बढ़ जाएगा। जब तक आरटी पीसीआर टेस्ट करवाए जाएंगे, तब तक इन्क्यूबेशन पीरियड बढ़ जाएगा। स्थिति ऐसी भयावह हो जाएगी कि सरकार के नियंत्रण में ही नहीं रहेगी। कोर्ट ने सरकार का पक्ष सुनने पर पाया कि प्रदेश सरकार को फिर से कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को तेज करना होगा।
कोर्ट ने सरकार की ओर से हाल ही में करीब 1000 बेड की क्षमता वाले आक्सीजन सुविधा युक्त मेकशिफ्ट अस्पताल बनाने की प्रशंसा भी की। कोर्ट ने कहा कि सभी पीएचसी को विकेंद्रीयकृत आइसीयू अस्पताल में तब्दील करना समय की जरूरत है। कोर्ट को बताया गया कि कुल्लू व लाहुल-स्पीति में अस्पताल तो हैं, लेकिन आइसीयू बेड नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने दोनों जिलों के बारे में अगली सुनवाई तक सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई पहली जून को होगी।