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हिमाचल प्रदेश में अब किसान 30 फीसद अनुदान के साथ ले सकेंगे लोन, बनानी होगी सोसायटी

Himachal Farmers Schemes किसान उत्पादक संगठन योजना का मुख्य उद्देश्य जिला के किसानों व बागवानों के कृषि उत्पादक संघ का गठन करना और इसके माध्यम से किसानों व बागवानों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उनके उत्पादन व आय में वृद्धि करना है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 06:18 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 07:39 AM (IST)
हिमाचल प्रदेश में अब किसान 30 फीसद अनुदान के साथ ले सकेंगे लोन, बनानी होगी सोसायटी
किसान उत्पादक संगठन योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक सहायता प्रदान करके उनके उत्पादन व आय में वृद्धि करना है।

शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Farmers Schemes, उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना (किसान उत्पादक संगठन ) की पहली बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि योजना का मुख्य उद्देश्य जिला के किसानों व बागवानों के कृषि उत्पादक संघ का गठन करना और इसके माध्यम से किसानों व बागवानों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उनके उत्पादन व आय में वृद्धि करना है। नाबार्ड द्वारा पहले से गठित किसान उत्पादक संगठन को बढ़ावा देना है। यह योजना किसानों की आय बढ़ाने में लाभदायक सिद्ध होगी। संगठन के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 100 किसान इसमें जुड़े होने चाहिए तभी किसान इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

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मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के अंतर्गत किसान उत्पादक संगठन को परियोजना लागत के ऊपर 30 प्रतिशत आर्थिक अनुदान प्रदान करेगा, जिसकी अधिकतम सीमा 6 लाख रुपये है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जिला शिमला को 9 कृषि उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है।  योजना के अंतर्गत पात्र कृषि उत्पादक संघ को किसी भी बैंक या वित्तीय संस्था से कुल प्रायोजन लागत के 50 प्रतिशत धनराशि के बराबर या अधिकतम साढ़े सात लाख रुपये की क्रेडिट गांरटी के साथ शीघ्र लोन का प्रावधान है। योजना के तहत संग्रह केन्द्र, ग्रेडिंग व सौर्टिंग केन्द्र, मुख्य प्रस्संकरण केन्द्र, शीत भण्डारण गृह, थोक दूध चीलर, दूध पाश्च्योराइजेशन अथवा कस्टम हायरिंग सेंटर जैसी गतिविधियों के लिए तुरन्त सहायता प्रदान कर सकते हैं।

ऐसे करें आवेदन

मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना के तहत योजना में पंजीकरण होने के लिए किसानों का एक समूह बनाकर विभाग में आवेदन करना होग। इसके बाद कॉपरेटिव सोसायटी अधिनियम 1968 या कम्पनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाएगा, जिसकी किसान उत्पादक संगठन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका होगी। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी के लिए इच्छुक किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं।

बैठक में  परियोजना अधिकारी डीआरडीए संजय भगवती, उप-निदेशक बागवानी डॉ. डीआर. शर्मा, उप-निदेशक पशुपालन डॉ. सुनील चौहान, कृषि विकास अधिकारी अर्जुन नेगी और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।


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