शिक्षा विभाग ने फीस का ब्योरा न देने वाले शिक्षण संस्थानों के छात्रवृत्ति आवेदन वापस भेजे, रुक सकती है छात्रवृत्ति
Himachal Pradesh Education Department केंद्र व राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित छात्रवृत्ति योजना के सैकड़ों आवेदनों में खामियां सामने आई हैं। शिक्षा विभाग ने आधे अधूरे आवेदनों को वापस लौटा दिया है। संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि 31 जनवरी तक इनकी दोबारा वेरिफिकेशन कर भेजें।
शिमला, अनिल ठाकुर। Himachal Pradesh Education Department, केंद्र व राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित छात्रवृत्ति योजना के सैकड़ों आवेदनों में खामियां सामने आई हैं। शिक्षा विभाग ने आधे अधूरे आवेदनों को वापस लौटा दिया है। संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि 31 जनवरी तक इनकी दोबारा वेरिफिकेशन कर भेजें। आवेदन के साथ हर दस्तावेज लगा होना चाहिए। फार्म में जो दस्तावेज बताए गए हैं, यदि उनमें कोई भी कालम अधूरा रह जाता है तो आवेदन को रद कर दिया जाएगा। निजी शिक्षण संस्थानों से छात्रवृत्ति के लिए आए कई आवेदनों में फीस का ब्यौरा ही संलग्न नहीं है। जबकि शिक्षा विभाग ने पहले ही सर्कुलर जारी कर विभागों को निर्देश दिए थे कि फीस का ब्यौरा जरूर दें।
इसके अलावा कई आवेदनों में हिमाचली बोनोफाइड सर्टिफिकेट नहीं लगाया गया है, जबकि कइयों में आय प्रमाण पत्र, बैंक खाते की जानकारी नहीं है। इसके अलावा शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज और अन्य तरह की जानकारियां आवेदन में नहीं दर्शाई गई हैं। इन आधे अधूरे आवेदनों को दोबारा से वेरिफाई कर भेजने को कहा गया है।
विभाग ने कहा है कि यदि कोई आवेदन अधूरा रहता है तो उसके लिए संबंधित संस्थान का अधिकारी जिम्मेदार होगा। संयुक्त निदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग हरीश कुमार की ओर से इस संबंध में सभी जिलों के उप शिक्षा निदेशक, विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार, प्रधानाचार्य सहित अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 31 जनवरी तक इन अधूरे आवेदनों को दोबारा वेरिफाई करके भेेजें।
तीन तरह से होती है वेरिफिकेशन
हिमाचल में करोड़ों रुपये का छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया है। इस मामले की सीबीआइ जांच कर रही है। छात्रवृत्ति घोटाला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया बदली है। संस्थान के स्तर पर पहले स्तर की वेरिफिकेशन होती है। उसके बाद जिला स्तर व फिर तीसरे विभाग के स्तर पर वेरिफिकेशन की जाती है। यह गलतियां तीनों स्तरों पर पकड़ी गई है। तीन तरह से आवेदनों की वेरिफिकेशन इसलिए की जाती है, ताकि कोई गलती सामने आए तो उसे पहले ही पकड़ा जा सके और गलत तरीके से किसी को भी छात्रवृति जारी न हो।