Move to Jagran APP

हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों व पेंशनरों को छह फीसद महंगाई भत्ता देने की घोषणा का हो रहा विरोध

सरकार ने पिछले दिनों कर्मचारियों व पेंशनरों को छह फीसद महंगाई भत्ता (डीए) देने की घोषणा की थी हालांकि कर्मचारी इसे कम बता और बढ़ाने की मांग कर रहे थे। बुधवार को सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारियों को 11 फीसद डीए देने की अधिसूचना जारी कर दी।

By Pooja SinghEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 01:51 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 01:51 PM (IST)
हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों व पेंशनरों को छह फीसद महंगाई भत्ता देने की घोषणा का हो रहा विरोध
हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों व पेंशनरों को छह फीसद महंगाई भत्ता देने की घोषणा का हो रहा विरोध

शिमला, राज्य ब्यूरो।  व्यवस्था बनाने और सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अधिकारियों व कर्मचारियों की होती है। कर्मचारी ही सरकार की रीढ़ होते हैं। कर्मचारी संतुष्ट होंगे तो वे ऊर्जा के साथ कार्यो को अंजाम देंगे और उनके परिणाम भी बेहतर रहेंगे। सरकार भी समय-समय पर कर्मचारियों को वित्तीय लाभ देती है। वैश्विक महामारी के कारण करीब डेढ़ साल से कर्मचारियों को किसी तरह के वित्तीय लाभ नहीं दिए जा सके थे। हालात में कुछ सुधार होने के बाद प्रदेश सरकार ने पिछले दिनों कर्मचारियों व पेंशनरों को छह फीसद महंगाई भत्ता (डीए) देने की घोषणा की थी हालांकि, कर्मचारी इसे कम बता और बढ़ाने की मांग कर रहे थे। बुधवार को सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारियों को 11 फीसद डीए देने की अधिसूचना जारी कर दी।

loksabha election banner

कर्मचारियों में चर्चा का दौर शुरू हुआ

इसके बाद प्रदेशभर में कर्मचारियों में चर्चा का दौर शुरू हो गया। कर्मचारियों ने इस पर रोष भी जताया कि जब सभी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं तो वित्तीय लाभ देने में कर्मचारियों को श्रेणियों में बांटा जाना सही नहीं है। कुछ कर्मचारी संगठनों ने खुलकर इसका विरोध भी कर दिया। सरकार ने वीरवार को आइएएस अधिकारियों को 11 फीसद डीए दिए जाने की अधिसूचना वापस ले ली। इस तरह के फैसले से कई सवाल उठते हैं। सवाल है कि सरकारी स्तर पर जब कोई फैसला लिया जाता है तो क्या उसके प्रभावों पर चर्चा नहीं की जाती? अगर पहले ही इस पर मंथन किया जाए तो इस तरह की स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती।

इसी तरह जब भी जनहित की कोई योजना बनाई जाती है तो यह अवश्य देखा जाना चाहिए कि वह धरातल पर किस तरह उतरेगी। अगर किसी योजना की भविष्य के क्रियान्वयन और उसके प्रभावों के बारे में पूर्व में तय नहीं किया जाएगा तो उसके धरातल पर पर उतरने में संशय रहेगा। सरकारी स्तर पर ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोई फैसला वापस लेना पड़े।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.