तीन अस्थायी परिसरों में झूलता केंद्रीय विश्वविद्यालय, जानिए क्या है नेताओं और अधिकारियों का तर्क
Himachal Pradesh Central University कांगड़ा और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से जुड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) हमेशा ही राजनीति का अखाड़ा रहा है।
धर्मशाला, दिनेश कटोच। कांगड़ा और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से जुड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) हमेशा ही राजनीति का अखाड़ा रहा है। कभी इसका श्रेय भाजपा तो कभी कांग्रेस ने लिया। 10 वर्ष बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय को कुछ तो आधार मिला था, लेकिन इसके भवनों की बहार कब होगी, यह अभी तक भविष्य के गर्भ में है। एक दो नहीं तीन-तीन अस्थायी परिसरों में चल रहे केंद्रीय विवि में विद्यार्थियों का अपना ही दुख है।
यहां समस्याओं का अंबार है और इनके समाधान के लिए अगर विद्यार्थी बात करते हैं तो सीयू प्रशासन के अधिकारी अस्थायीपन का हवाला देकर टाल देते हैं। कहने को इस समय सीयू तीन-तीन अस्थायी परिसरों में चल रही है, लेकिन सही व्यवस्था कहीं भी नहीं मिल रही है। ऐसे हालात में विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा कैसे मिल पाएगी। अब थक हारकर विद्यार्थियों ने आवाज बुलंद की है तो क्या कोई सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे यह देखना अभी बाकी है।
प्रदेश में सीयू का सफर
एक अनार सौ बीमार की परिस्थितियों से जूझता केंद्रीय विश्वविद्यालय 20 मार्च, 2009 को अस्तित्व में आया था। शाहपुर के छतड़ी में राजकीय महाविद्यालय से लिए गए भवन में अस्थायी तौर पर इसे शुरू किया गया था। धर्मशाला के लिए केंद्रीय विवि की अधिसूचना 20 मार्च, 2009 को तत्कालीन राष्ट्रपति ने जारी की थी। इससे पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन ङ्क्षसह ने 15 अगस्त, 2007 को स्वतंत्रता दिवस पर हिमाचल प्रदेश के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालय की घोषणा की थी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राजकीय महाविद्यालय शाहपुर के भवन में सीयू का अस्थायी कैंपस शुरू हुआ था। इस समय शाहपुर, धर्मशाला व देहरा ब्यास परिसर में तीन अस्थायी खंडों में विभिन्न विषयों के 12 स्कूल चल रहे हैं।
लोकसभा चुनाव से पूर्व रखा था नींव पत्थर
लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में देहरा व जदरांगल में सीयू भवन निर्माण का नींव पत्थर तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने संयुक्त रूप से रखा था। इसके तहत धर्मशाला में 70 व देहरा में 30 फीसद भाग सीयू का बनना तय हुआ था लेकिन नींव पत्थर रखने के एक साल बाद भी निर्माण कार्य के लिए एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है।
कितनी भूमि हुई नाम
जदरांगल में अभी तक 24 हेक्टेयर भूमि सीयू के नाम हो चुकी है, जबकि 300 हेक्टेयर और भूमि की स्वीकृति का मामला एफसीए के पास है। देहरा में 34 हेक्टेयर भूमि सीयू के नाम हो चुकी है और यहां भी 81 हेक्टेयर भूमि को एनओसी का इंतजार है।
जदरांगल में होने लगे हैं कब्जे
जदरांगल में चयनित भूमि में कुछ निर्माण होने लग पड़े हैं लेकिन प्रशासन ने यह साफ किया है कि कब्जों को हटाया जाएगा। जो पुराने निर्माण हैं, उनका ही मुआवजा दिया जाएगा।
ये हैं विद्यार्थियों की मांगें
- दोनों ही कैंपस में भवनों का निर्माण शीघ्र हो।
- उधार की व्यवस्था में सुविधाओं का अभाव है।
- छात्राओं के लिए कॉमन रूम नहीं हैं।
- छात्रों के लिए कैंटीन की व्यवस्था नहीं।
क्या कहते हैं अधिकारी व नेता
- रिव्यू कॉस्ट कमेटी की बैठक पिछले दिनों हुई है। इसमें कुछ निर्देश दिए गए थे। डीपीआर में कुछ बदलाव किया है और केंद्रीय कमेटी को मामला भेजा है। उम्मीद है शीघ्र भवन निर्माण कार्य शुरू होगा।-संजीव शर्मा, अतिरिक्त प्रभार रजिस्ट्रार, केंद्रीय विश्वविद्यालय।
- प्रक्रिया जारी है। केंद्र सरकार के समक्ष भी मामला उठाया है। एफसीए की कुछ औपचारिकताएं बची हैं और उन्हें पूरा किया जा रहा है। शीघ्र भवनों का निर्माण कार्य शुरू होगा।-किशन कपूर, सांसद।
- जदरांगल में सीयू निर्माण के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह से गंभीर है। चयनित भूमि में निर्माण क्षेत्र कम था, लेकिन अब यहां 75 हेक्टयेर भूमि और चयनित की गई है और एफसीए के लिए मामला केंद्र को भेजा है। विद्यार्थियों को परेशानियों का सामना न करना पड़े, इसके लिए शीघ्र भवन निर्माण कार्य शुरू होगा। -विशाल नैहरिया, विधायक, धर्मशाला।