सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन पर सदन में शोक उदगार के बाद विधानसभा की कार्यवाही स्थगित
MP Ramswaroop Passed Away सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने शोक प्रकट किया। विधायकों ने शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं जताई। सांसद के सम्मान में सदन की कार्यवाही वीरवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
शिमला, राज्य ब्यूरो। मंडी संसदीय क्षेत्र के सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने शोक प्रकट किया। विधायकों ने शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं जताई। सांसद के सम्मान में सदन की कार्यवाही वीरवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शोक उद्गार प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा सांसद के मौत का समाचार पाकर स्तब्ध और दु:खी हैं। यह सदन उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट कर ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति, स्वजनों को इस असहनीय दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता है।
जब मौत का समाचार आया तो विश्वास नहीं हुआ, इसलिए दो बार कन्फर्म किया। सरल स्वभाव, सादगी, ईमानदार छवि के व्यक्ति थे। पार्टी कार्यकर्ताओं से संवाद और संवाद करने में थे अत्यंत कुशल थे। 12 मार्च को मंडी में महाशिवरात्रि उत्सव की जलैब में हम एक साथ थे। ढाई घंटे इक्कठा वक्त बिताया। मैंने पूछा था कि आम आजकल कमजोर लग रहे हैं, क्या कारण हैं, तो बोले थोड़ा वजन कम हुआ है और मैं ठीक हूं। दूसरे दिन फतेहपुर की पार्टी बैठक में भी पहुंचे। हाल ही में मेरा दिल्ली दौरा हुआ, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की, तब भी उनसे मिलना हुआ।दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना था। तब भी मुझे प्रांगण तक ले गए।
करीब 50 मिनट की मुलाकात के बाद बाहर मेरा गेट के पास इंतजार कर रहे थे। कई बार दिल्ली में मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे कार्यालय में सभी सांसदों में से रामस्वरूप शर्मा ने सबसे ज्यादा पत्र लिखे। इनमें ट्रांसफर के काफी कम थे। वह सांसद और विधायक दोनों के रूप में एक साथ काम करते थे।
2014 में मुझे लड़वाना चाहते थे चुनाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं 2013 में उपचुनाव हार गया था। लेेकिन 2014 में रामस्वरूप शर्मा चाहते थे कि मैं दोबारा चुनाव लड़ूं। मुझसे कहते रहे कि आप इंकार मत करना। मैने इंकार किया और पार्टी आलाकमान के सामने रामस्वरूप का नाम सुझाया। वह कभी गुस्सा नहीं करते थे।
हिमाचल की राजनीति में घटी है अविश्वसनीय घटना
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सांसद के निधन के ताैर पर हिमाचल की राजनीति में अविश्वसनीय घटना घटी है। हिमाचल ने सादगी भरे नेता को खो दिया है। वह सरल स्वभाव के मालिक थे। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विपक्ष से भी बातचीत करते थे। राजनीति में तब चर्चा में आए थे जब पहली बार मंडी से 2014 मेें चुनाव लड़ा और जीते भी। पूरा विपक्ष शोक संतप्त परिवार के साथ खड़ा है।
भाजना संगठन को हुआ बड़ा नुकसान
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि सांसद के निधन से हिमाचल और पार्टी संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है। वह मंडी में बड़ी याेजनाओं को धरातल पर उतारना चाहते थे। जब भी हमारे क्षेत्र से गुजरते थे, हमेशा फोन करते थे। कहते थे, मैं आपका फार्मूला अपना रहा हूॅं, हरेक कार्यालयों में अफसरों से योजनाओं का फॉलाेअप कर रहा हूं।
मोदी ने बनाया था संगठन मंत्री
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब हिमाचल के पार्टी मामलों के प्रभारी थे, तब उन्होंने रामस्वरूप शर्मा को संगठन महामंत्री बनाया था। शर्मा तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष जय किशन शर्मा का पूरा कार्य देखते थे। उन्होंने सांसद के रूप में संसद में कई मामले उठाए। निधन से प्रदेश, पार्टी को बड़ी क्षति हुई है।
कुशल संठनकर्ता थे रामरूवरूप
विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा कि रामस्वरूप शर्मा कुशल संगठनकर्ता थे। उनके मन में कभी ये विचार नहीं आया कि वे सांसद हैं या संगठन महामंत्री। हमेशा आने आप को संगठनकर्ता कहते थे। दूसरों को नेता कहते थे। मेरा उनके पुराना संबंध रहा। जब भी संगठन में तल्ख माहौल होता था, वह सहजता, सरलता से शांत, सुलझा देते थे। उनके कार्यों को आगे ले जाना हम सब की जिम्मेवारी बन जाती है। वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि रामस्वरूप ने 1996 में उपचुनाव में मुझे राजनीति का पाठ सिखाया था। उनमें असंभव को संभव बनाने की क्षमता थी। विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि अगर वह आज विधायक है तो रामस्वरूप की बदौलत है। शोक प्रस्ताव में मंत्री गोबिंद ठाकुर,उपाध्यक्ष हंस राज, विधायक प्रकाश राणा, कर्नल इंद्र सिंह, नंदलाल, किशोरी लाल, विनोद कुमार ने भी सांसद के निधन पर शोक जताया।