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हिमाचल के सबसे बड़े अस्‍पताल आइजीएमसी में मिलेगी किडनी ट्रांसप्‍लांट की सुविधा, एम्‍स की टीम पहुंचेगी शिमला

Kidney Transplant शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेजव व अस्पताल में किडनी फेलियर मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार करना होगा। मौजूदा समय में एम्स दिल्ली की टीम से बातचीत की जा रही है। डॉक्टरों की टीम के आने की तिथि फाइनल होने के बाद ट्रांसप्लांट होने की उम्मीद है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 07:11 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 07:39 AM (IST)
हिमाचल के सबसे बड़े अस्‍पताल आइजीएमसी में मिलेगी किडनी ट्रांसप्‍लांट की सुविधा, एम्‍स की टीम पहुंचेगी शिमला
शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेजव व अस्पताल में किडनी फेलियर मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार करना होगा।

शिमला, जागरण संवाददाता। Kidney Transplant, शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेजव व अस्पताल (आइजीएमसी) में किडनी फेलियर मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार करना होगा। मौजूदा समय में एम्स दिल्ली की टीम से बातचीत की जा रही है। डॉक्टरों की टीम के आने की तिथि फाइनल होने के बाद ट्रांसप्लांट होने की उम्मीद है। दिल्ली एम्स से डॉक्टरों की निगरानी में आगामी ट्रांसप्लांट होंगे। कोरोना संक्रमण के बीच अस्पताल प्रशासन ने ट्रांसप्लांट बंद कर दिए थे। अस्पताल में शुरुआती दौर के ट्रांसप्लांट एम्स दिल्ली के विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में होने सुनिश्चित किए गए हैं। इसलिए अस्पताल में ट्रांसप्लांट के लिए एम्स की टीम का इंतजार किया जा रहा है।

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मौजूदा समय में अस्पताल में चार से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं। प्रदेश भर में आइजीएमसी में पहला ट्रांसप्लांट साल 2019 में किया गया था। किडनी ट्रांसप्लांट से मरीजों का काफी ज्यादा खर्च होता है। वहीं अस्पताल में तीन किडनी ट्रांसप्लांट मरीजों के निशुल्क में ही किए गए थे। अस्पताल के प्रधानाचार्य डॉक्टर सुरेंद्र सिंह का कहना है आइजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट जल्द शुरू होंगे, ताकि किडनी रोगी मरीजों को कोई परेशानी न आए। उन्होंने कहा अस्पताल का यूरोलॉजी विभाग एम्स की टीम के साथ कार्डिनेट कर रहा है, डॉक्टरों की टीम आने पर ट्रांसप्लांट के लिए केस तैयार किए जाएंगे।

मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत

जब मरीज की किडनी खराब होने की अंतिम स्टेज पर होती है और ट्रांसप्लांट के अलावा अन्य विकल्प नहीं रहता है तो डॉक्टर किडनी बदलने की सलाह देते हैं। ऐसे में प्रदेशभर के स्वास्थ्य संस्थानों में यह सुविधा न होने पर मरीजों को अन्य राज्यों का रुख करना पड़ता था। चंडीगढ़ के पीजीआइ या दिल्ली एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मरीज को कई गुना ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इलाज पूरा होने के लिए कई दिन तक अस्पताल में रहना होता है। डायलिसिस बार-बार होने के कारण मरीज पर और अधिक आर्थिक बोझ बढ़ जाता था। आइजीएमसी में ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलने के बाद राज्य के मरीजों को बड़ी राहत मिली है। मरीजों को बाहरी राज्यों के चक्कर काटने से छुटकारा मिला है।


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