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हिमाचल हाईकोर्ट ने एचपीयू रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी कर मांग जवाब, यह है मामला

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में लापरवाही और याचिकाकर्ता के करियर की अपूर्णीय क्षति से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

By Virender KumarEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 17 Nov 2021 10:00 PM (IST)
हिमाचल हाईकोर्ट ने एचपीयू रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी कर मांग जवाब, यह है मामला
हिमाचल हाईकोर्ट ने एचपीयू रजिस्ट्रार व परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी किया है। जागरण आर्काइव

शिमला, विधि संवाददाता। प्रदेश उच्च न्यायालय ने उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में लापरवाही और याचिकाकर्ता के करियर की अपूर्णीय क्षति से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सबीना की खंडपीठ ने केशव सिंह की ओर से दायर याचिका पर ये आदेश पारित किए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रार्थी ने सत्र 2017-2020 के लिए सरकारी कालेज, हमीरपुर में बीएससी (गणित) में प्रवेश लिया था और नवंबर 2019 में पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल हुआ था। फरवरी, 2020 में उसने आइआइटी जाम (ज्वाइंट एडमिशन टेस्ट फार मास्टर्स) प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ और 100 में से 40.33 अंक प्राप्त किए और एमएससी एनआइटी में प्रवेश पाने के लिए पात्र बन गए।

जून, 2020 में विश्वविद्यालय ने पांचवें सेमेस्टर के परिणाम घोषित किए और उसे एक पेपर में 70 में से केवल पांच अंक दिए, जिसके कारण उसे एनआइटी में प्रवेश नहीं मिल सका। आरोप लगाया गया है कि चूंकि उसका अकादमिक रिकार्ड अच्छा था और उसने इस पेपर में अधिकांश प्रश्नों का प्रयास किया था, इसलिए उसने अपने पेपर की रि-चेङ्क्षकग के लिए आवेदन किया। रि-चेङ्क्षकग के बाद 42 अंक बढ़ाए गए और उस पेपर में 47 अंक हासिल किए, लेकिन पुनर्मूल्यांकन का परिणाम एमएससी की काउंसङ्क्षलग के बाद घोषित किया गया और उस समय तक सभी सीटें भर चुकी थीं और याचिकाकर्ता का प्रवेश स्वीकार नहीं किया गया था।

आरोप लगाया है कि उसने फिर से आइआइटी जाम 2021 को क्वालीफाई कर लिया, लेकिन जिस मानसिक प्रताडऩा और अवसाद का उसने सामना किया है, वह अपूर्णीय है। इस प्रतियोगिता के दौर में उसने अपना एक बहुमूल्य साल का समय गंवा दिया। आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी विश्वविद्यालय की लापरवाही के कारण वह अपने करियर को उज्ज्वल बनाने के लिए एक वर्ष के निवेश से वंचित हो गया क्योंकि वह आइआइटी व एनआइटी जाम की किसी भी काउंसङ्क्षलग में शामिल नहीं हो सका और किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के लिए कोई फार्म नहीं भर सका।

याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को उसे पर्याप्त मुआवजा देने और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का निष्पक्ष और उचित तरीका अपनाने का निर्देश देने की प्रार्थना की है, ताकि भविष्य में किसी को भी ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़े। कोर्ट ने प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।


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