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सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक पर प्रदेश सरकार की मेहरबानी, चौथी बार दिया पुन: रोजगार, विरोध के बावजूद सरकार ने जारी किए आदेश

राज्य सरकार ने शिमला जिला के सेवानिवृत शिक्षा उपनिदेशक (प्रारंभिक) पर एक बार फिर मेहरबानी दिखाई है। सरकार ने शिक्षा उपनिदेशक भागचंद चौहान को एक बार फिर पुन रोजगार दिया है। सचिव शिक्षा की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।

By Richa RanaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 06:11 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 06:11 PM (IST)
सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक पर प्रदेश सरकार की मेहरबानी, चौथी बार दिया पुन: रोजगार, विरोध के बावजूद सरकार ने जारी किए आदेश
शिक्षा उपनिदेशक भागचंद चौहान को एक बार फिर पुन: रोजगार दिया है।

शिमला, जागरण संवादददाता। राज्य सरकार ने शिमला जिला के सेवानिवृत्त शिक्षा उपनिदेशक (प्रारंभिक) पर एक बार फिर मेहरबानी दिखाई है। सरकार ने शिक्षा उपनिदेशक भागचंद चौहान को एक बार फिर पुन: रोजगार दिया है। सचिव शिक्षा की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। यह चौथा मौका है जब भागचंद चौहान काे पुन: रोजगार दिया गया है।

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यह आदेश उस वक्त जारी किए गए हैं जब प्रधानाचार्य और मुख्य अध्यापक पद्दोन्नति के लिए सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। सरकार ने पद्दोन्नति का पैनल बनाने के बजाए पुन: रोजगार के आदेश जारी किए हैं। सरकार के इस फैंसले से शिक्षकों में खासा रोष व्याप्त है। भागचंद चौहान शिक्षा  उपनिदेशक शिमला के पद पर कार्यरत थे। 29 फरवरी 2020 को वह सेवानिवृत हुए थे। सरकार ने 3 मार्च को सबसे पहले उन्हें सेवा विस्तार दिया था। 11 सितंबर 2020 और 21 दिसंबर 2020 को उनका कार्यकाल फिर बढ़ाया गया। सरकार ने अब दोबारा उन्हें 31 दिसंबर तक पुन: रोजगार के आदेश जारी किए हैं।

अशोक शर्मा को दिया था अतिरिक्त कार्यभार

सूत्रों के मुताबिक इस पद के लिए काफी लाबिंग चल रही थी। शिक्षा विभाग ने डीपीसी करने के बजाए इस पद का अतिरिक्त कार्यभार शिक्षा उपनिदेशक उच्चतर शिक्षा अशोक शर्मा को सौंपा था। मंगलवार को सरकार ने पुन: रोजगार के आदेशों के बाद अतिरिक्त कार्यभार को भी खत्म कर दिया है। सचिव शिक्षा राजीव शर्मा की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।

विपक्ष में रहते सेवा विस्तार और पुन:रोजगार का विरोध करती थी भाजपा

पूर्व कांग्रेस सरकार में भी कई कर्मचारियों और अधिकारियों को सेवा विस्तार और पुन: रोजगार दिया गया था। विपक्ष में रहते हुए भाजपा इसका खूब विरोध करती थी। भाजपा का आरोप था कि यह बेरोजगार और सेवारत कर्मचारियों के साथ अन्याय है। ऐसा करने से जहां कर्मचारी पद्दोन्नति से वंचित रहते हैं वहीं बेरोजगारों के साथ भी धोखा है। अब सत्ता में आने के बाद सरकार खुद उसी रास्ते पर चल पड़ी है।


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