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हिमाचल में वन विभाग ने रैपिड फॉरेस्ट फायर फाइटिंग फोर्स की गठित, फायर वॉचर भी तैनात, पढ़ें खबर

Himachal Forest Fire वनों की आग की रोकथाम के लिए वन विभाग ने कुछ और कदम उठाए हैं। त्वरित कार्रवाई के लिए वन मंडल व वन रेंज स्तर तक रैपिड फॉरेस्ट फायर फाइटिंग फोर्स का गठन किया गया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 10:09 AM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 10:09 AM (IST)
हिमाचल में वन विभाग ने रैपिड फॉरेस्ट फायर फाइटिंग फोर्स की गठित, फायर वॉचर भी तैनात, पढ़ें खबर
वनों की आग की रोकथाम के लिए वन विभाग ने कुछ और कदम उठाए हैं।

शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Forest Fire, वनों की आग की रोकथाम के लिए वन विभाग ने कुछ और कदम उठाए हैं। त्वरित कार्रवाई के लिए वन मंडल व वन रेंज स्तर तक रैपिड फॉरेस्ट फायर फाइटिंग फोर्स का गठन किया गया है। वर्तमान अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के अतिरिक्त फायर वाचर्ज को तीन माह के लिए लगभग 40 हजार कार्य दिवस के लिए रखा गया है। स्थानीय समुदाय द्वारा वन अग्नि से संबंधित मामलों की जानकारी देने के लिए आपदा नियंत्रण कक्ष कार्यशील किए गए हैं। राज्यस्तर पर इसका टोल फ्री नंबर 1077 और जिलास्तर पर 1070 है। इस संबंध में प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन बल प्रमुख) डा. सविता ने वन अग्नि रोकथाम की उचित तैयारियों और उपायों को लेकर आज विभिन्न वन वृत्तों के मुख्य अरण्यपालों, अरण्यपालों और वन मंडल अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से समीक्षा बैठक की।

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आपदा प्रबंधन कक्ष मेें मोबाइल नंबर उपलब्ध

आपदा प्रबंधन कक्ष में वन विभाग के विभिन्न स्तर के अधिकारियों के मोबाइल नंबर साझा किए गए है, ताकि वन विभाग को समय रहते वन आग की घटना की जानकारी मिल सके।

चलाया जागरूकता अभियान

वन विभाग ने प्रदेश के वन अग्नि संवेदनशील क्षेत्रों में 10 मार्च से 17 मार्च तक वन अग्नि रोकथाम जागरूकता अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान इन क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर नुक्कड़ नाटक, प्रदर्शनियों व प्रचार सामग्री के वितरण के साथ-साथ ध्वनि प्रसार संयंत्र द्वारा लोगों को वन अग्नि रोकथाम के प्रति जागरूक किया गया। डा. सविता ने कहा कि वन अग्नि रोकथाम के लिए वन विभाग ने वन अग्नि नियंत्रण रेखाओं का निर्माण और वन अग्नि शमन के लिए वनों में पानी एकत्रित करने के लिए उचित प्रबंध किए हैं। उन्होंने कहा कि वन अग्नि का मुख्य कारण लोगों द्वारा जानबूझकर या अज्ञानतावश आग का लगाया जाना होता है, इसलिए वन अधिकारियों द्वारा विभिन्न स्तरों पर स्थानीय समुदायों के साथ बैठकों का आयोजन भी किया जा रहा है।


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