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हिमाचल के सबसे बड़े अस्‍पताल में अब एक मिनट में तैयार होगी एक हजार लीटर ऑक्सीजन, पढ़ें खबर

IGMC Oxygen Productionआइजीएमसी शिमला में जल्द तीसरा आक्सीजन प्लांट स्थापित होगा। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों के भीतर नया प्लांट स्थापित होगा। प्लांट के शुरू होने से आइसोलेशन और मेक शिफ्ट वार्ड को ऑक्सीजन की सीधी सप्लाई मिलेगी।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Mon, 06 Sep 2021 06:46 AM (IST)Updated: Mon, 06 Sep 2021 08:09 AM (IST)
हिमाचल के सबसे बड़े अस्‍पताल में अब एक मिनट में तैयार होगी एक हजार लीटर ऑक्सीजन, पढ़ें खबर
आइजीएमसी शिमला में जल्द तीसरा आक्सीजन प्लांट स्थापित होगा

शिमला, जागरण संवाददाता। IGMC Shimla Oxygen Production, आइजीएमसी शिमला में जल्द तीसरा आक्सीजन प्लांट स्थापित होगा। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बताया जा रहा है कि आगामी दिनों के भीतर नया प्लांट स्थापित होगा। प्लांट के शुरू होने से आइसोलेशन और मेक शिफ्ट वार्ड को ऑक्सीजन की सीधी सप्लाई मिलेगी। प्लांट से एक मिनट में एक हजार लीटर ऑक्सीजन की सप्लाई होगी। आइजीएमसी के मेडिकल कॉलेज में लगे दो प्लांट से पूरे अस्पताल को सप्लाई दी जाती है। लेकिन संभावित तीसरी लहर को देखते हुए ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाई जा रही है, ताकि मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न आए।

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डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) की ओर से अस्पताल परिसर में प्लांट लगाया जाएगा। इससे पहले प्रदेश सरकार की ओर से अस्पताल परिसर में सामान्य आक्सीजन प्लांट के साथ लिक्विड आक्सीजन टैंक भी स्थापित किया गया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि हालांकि अस्पताल में कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है। लेकिन आने वाले समय में अगर मरीजों की और संख्या बढ़ती है तो ऐसे समय में आक्सीजन की कमी न आए, इसलिए नया प्लांट स्थापित करने की तैयारी चल रही है। यह पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसरप्शन) प्लांट होगा, इसमें वातावरण में मौजूद हवा को आत्यधिक प्रेशर के जरिए ऑक्सीजन में परिवर्तित किया जाएगा।

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बेड्स पर मिलेगी डायरेक्ट सप्लाई

अस्पताल में करीब 50 फीसद बेड्स पर ऑक्सीजन सप्लाई डायरेक्ट दी जाएगी। इससे बार-बार सिलेंडर बदलने की परेशानी नहीं रहेगी और मरीज काे जरूरत के हिसाब से निरंतर ऑक्सीजन की सप्लाई दी जाएगी। सामान्य तौर पर देखा गया है कि सिलेंडर बदलने में समय लगने के कारण मरीज को आक्सीजन सप्लाई मिलने में बाधा पहुंचती है, ऐसे में अगर डायरेक्ट सप्लाई होगी तो मरीज को खासी राहत मिलेगी।


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