शीतकालीन सत्र: हिमाचल में पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग से सदन से जुड़े रहेंगे जिला मुख्यालय, पढ़ें खबर
Himachal Assembly winter session किसी जनहित की बात पर जिला प्रशासन से किसी रिकॉर्ड के बारे में जानकारी लेनी हो तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही मिल सकती है।
धर्मशाला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश की 13वीं विधानसभा का सातवां शीतकालीन सत्र सोमवार दोपहर बाद दो बजे शुरू होगा और 14 दिसंबर तक चलेगा। तपोवन विधानसभा सचिवालय में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सत्र के लिए छह बैठकें निर्धारित की गई हैं और 12 दिसंबर गैरसरकारी सदस्य कार्यदिवस निर्धारित किया गया है। तपोवन सचिवालय में रविवार को पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि सत्र में 434 तारांकित व अतारांकित प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके अलावा स्थगित कुल 36 प्रश्नों में से 25 तारांकित व 11 अतारांकित हैं। इसके अलावा नियम 62 व 130 के तहत चर्चा होगी।
डॉ. बिंदल ने सत्ता पक्ष व विपक्ष से आग्रह किया है कि सत्र के संचालन में रचनात्मक सहयोग दें। सदन ही लोगों की समस्याओं को उठाने व उनके समाधान का सर्वोत्तम स्थान है तथा इसका इस्तेमाल जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए करना चाहिए। बकौल बिंदल, सदस्य नियमानुसार चर्चा में भाग लें तथा सदन के समय का सार्थक चर्चा के लिए सदुपयोग करें। इस मौके पर विधानसभा सचिव यशपाल शर्मा सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।
उधर सत्र के संचालन के लिए सत्तापक्ष व विपक्ष ने रविवार सायं धर्मशाला में बैठक कर रणनीति तैयार कर ली है। इस बार विधानसभा परिसर में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा शुरू की गई है। इसके तहत अगर सरकार के किसी सदस्य या विधायक को प्रश्न का जवाब नहीं मिलता है या फिर किसी जनहित की बात पर जिला प्रशासन से किसी रिकॉर्ड के बारे में जानकारी लेनी हो तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही मिल सकती है। हर जिले के एनआइसी केंद्रों को सदन से जोड़ा गया है।
इसके अलावा सरकार ने विधानसभा की कमेटियों को डिजिटल करने का निर्णय लिया है। जिला स्तर पर ये कमेटियां बैठकें कर विकास कार्यों की समीक्षा करती हैं और रिपोर्ट विधानसभा को देती हैं। अब तक कमेटियों का काम कागजों पर ही होता था, लेकिन सरकार ने इसे अब ऑनलाइन करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा प्रदेश की ई-विधान प्रणाली की विदेश में भी सराहना की गई है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सत्र के संचालन के लिए सरकार व विपक्ष दोनों को संयम से काम लेना चाहिए। वॉकआउट विपक्ष का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन जनहित पर चर्चा में अगर विपक्ष भाग लेता है तो सदन की कार्यवाही अच्छी चलेगी।