नमामि: गंगे की तर्ज पर निर्मल होंगी ये पांच बड़ी नदियां, सहायक नदियों को भी मिलेगा नवजीवन
Himachal Rivers Project हिमाचल प्रदेश सहित पंजाब व जम्मू कश्मीर में बहने वाली इंडस बेसिन की पांच बड़ी नदियां निर्मल होंगी। इनमें ब्यास चिनाब रावी सतलुज और झेलम शामिल हैं। इनकी नमामि गंगे की तर्ज पर सफाई होगी। इनकी 84 सहायक नदियों को भी नवजीवन मिलेगा।
शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल प्रदेश सहित पंजाब व जम्मू कश्मीर में बहने वाली इंडस बेसिन की पांच बड़ी नदियां निर्मल होंगी। इनमें ब्यास, चिनाब, रावी, सतलुज और झेलम शामिल हैं। इनकी नमामि: गंगे की तर्ज पर सफाई होगी। इनकी 84 सहायक नदियों को भी नवजीवन मिलेगा। इस संबंध में हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआइ) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्वीकृत कर दिया है।
अब जल्द ही नदियों की सफाई के लिए मुहिम चलेगी। प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन वन विभाग के माध्यम से होगा, जबकि मॉनिटरिंग एचएफआरआई करेगी। संस्थान ने इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट रिसर्च एवं एजुकेशन (आइसीएफआरई) को पहली ड्राफ्ट रिपोर्ट को सौंप दी थी। झेलम नदी की रिपोर्ट सीधे वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजी गई है। चार नदियों पर 950 करोड़ और पांचवीं झेलम नदी पर अलग से 400 करोड़ रुपये खर्च करने प्रस्तावित किए हैं। यह पैसा हिमाचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर जहां नदियां बहती हैं, वहां खर्च होगा। लेकिन सभी राज्यों अपने स्तर पर प्रोजेक्ट का संचालन करेेंगे।
वानिकी कार्यों पर होगा फोकस
विशेष मुहिम के तहत ज्यादा फोकस वानिकी कार्यों पर होगा। औषधीय पौधों से लेकर झाडिय़ां उगाई जाएगी। जलवायु के हिसाब नदियों के आसपास धरा का भी शंृगार होगा। भू-जल को रिचार्ज किया जाएगा। जिन जगहों पर नदियां औद्योगिक कचरे से प्रदूषित हो गई हैं, वहां इनके उपचार के प्रयास करेंगे।
रावी नदी
रावी नदी उत्तरी भारत में बहनेवाली एक नदी है। इसका ऋग्वैदिक कालीन नाम परुष्णी है। इसे लहौर नदी भी कहा जाता है। यह अमृतसर और गुरदासपुर की सीमा बनाती है। रावी नदी हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिले में रोहतांग र्दे से निकल कर हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर तथा पंजाब होते हुए पाकिस्तान से बहती हुई चिनाब नदी में मिल जाती हैं।
ब्यास नदी
पंजाब (भारत) की पांच प्रमुख नदियों में से एक है। इसका इसका पूराना नाम अर्जििकया या विपाशा था। यह कुल्लू में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में स्थित रोहतांग र्दे में है। इसलिए इसका नाम कालांतर में ब्यास पड़ गया।
सतलुज नदी
उत्तरी भारत में बहनेवाली एक सदानीरा नदी है। इसका पौराणिक नाम शतुíद है। जिसकी लम्बाई पंजाब में बहने वाली पांचों नदियों में सबसे अधिक है। यह पाकिस्तान में होकर बहती है। दक्षिण-पश्चिम तिब्बत में समुद्र तल से 4,600 मीटर की ऊंचाई पर इसका उद्गम मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से है।
झेलम नदी
झेलम उत्तरी भारत में बहनेवाली एक नदी है। वितस्ता ङोलम नदी का वास्तविक नाम है। कश्मीरी भाषा में इसे व्यथ कहते हैं। इसका उद्भव वेरीनाग नामी नगर में है। ङोलम नदी का जम्मू कश्मीर के शेषनाग या बेरीनाग से निकलती है।
चिनाब नदी
चिनाब नदी भारत के हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले के चंद्रा और भागा नदियों के संगम से बनती है। इसकी ऊपरी पहुंच में इसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंधु नदी की एक सहायक नदी है। यह जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से होकर पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती है। यह जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से होकर पंजाब के मैदानी इलाकों में बहती है।
कहां कितनी सहायक नदियां
- बेसिन, संख्या, लंबाई
- सतलुज, 18, 744.98
- ब्यास, 19, 862.66
- चिनाब, 17, 1116.22
- रावी, 6, 321.94
- झेलम, 24, 1181
डीपीआर को स्वीकृति
हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डा. एसएस सामंत का कहना है पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय ने डीपीआर को स्वीकृति प्रदान कर दी है। हमें आइसीएफआरई ने डीपीआर का जिम्मा सौंपा था। पांच बड़ी नदियों में नमामि: गंगे प्रोजेक्ट की तर्ज पर पानी साफ करने की मुहिम चलेगी। हम मॉनिटरिंग करेंगे, चार का कार्य हिमाचल का वन विभाग करेगा। झेलम का कार्य जम्मू कश्मीर का वन महकमा करेगा।
मेहनत रंग लाएगी
एचएफआरआइ शिमला के पूर्व नॉडल अधिकारी एसके ठाकुर का कहना है डीपीआर पिछले साल तैयार की थी। इसमें ज्यादा फोकस वानिकी कार्यों पर रहेगा। हालांकि अब मैं प्रतिनियुक्ति से वापस आ गया हूं, लेकिन हमारी मेहनत अब रंग लाएगी।
क्या है नमामि गंगे प्रोजेक्ट
यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया था। इस परियोजना की शुरुआत गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने और गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी। इसका क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन,नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम के कार्यान्वयन को शुरूआती स्तर की गतिविधियों (तत्काल प्रभाव दिखने के लिए), मध्यम अवधि की गतिविधियों (समय सीमा के 5 साल के भीतर लागू किया जाना है), और लंबी अवधि की गतिविधियों (10 साल के भीतर लागू किया जाना है) में बांटा गया है। केंद्र सरकार ने 2020-2021 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्रीय कार्य योजना को मंजूरी दी।
गंगा की कुल लंबाई 2525 किलोमीटर है। गंगा का बेसिन 1. 6 मिलियन वर्ग किलोमीटर का है , 468. 7 बिलियन मीट्रिक पानी साल भर में प्रवाहित होता है जो देश के कुल जल स्रोत का 25. 2 फीसद भाग है। इसके बेसिन में 45 करोड़ की आबादी बसती है। गंगा उत्तराखंड, झारखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार समेत पांच राज्यों से होकर गुजरती है।