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शहरी बनने के साथ विकास की भी आस

नवगठित नगर निगम पालमपुर में शामिल किए गए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Mar 2021 09:23 PM (IST)Updated: Sun, 14 Mar 2021 09:23 PM (IST)
शहरी बनने के साथ विकास की भी आस
शहरी बनने के साथ विकास की भी आस

कुलदीप राणा, पालमपुर

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नवगठित नगर निगम पालमपुर में शामिल किए गए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को शहरी बनने पर कुछ मलाल है। इस कारण टैक्स का भय है। हालांकि सरकार ने यह बात स्पष्ट की है कि अभी तीन साल बाशिंदों को कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन ग्रामीणों का मत है कि बाद में तो उन्हें टैक्स के दायरे में लाया ही जाएगा।

इस भय के बीच नगर निगम के लोगों में विकास को लेकर कई उम्मीदें भी हैं। नए शामिल क्षेत्रों में सड़क तक पहुंचने के लिए भी रास्तों का अभाव है। लंबी दूरी अंधेरे में तय करने वाले इस क्षेत्र के लोग लाइट का इंतजार कर रहे हैं। वार्ड नंबर एक लोहना का मुख्य स्थल बिदयावासीनी मंदिर है। हालांकि वार्ड से एक मुख्य मार्ग गुजरता है, लेकिन आसपास के क्षेत्रों के लिए अभी तक अच्छे व पक्के रास्ते नहीं हैं। शाम व रात के समय के लिए स्ट्रीट लाइट का भी अभाव है। इन क्षेत्रों के लोगों की मुख्य जरूरत रोजगार के अवसर हैं।

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महिला मतदाता प्रधान है लोहना वार्ड

नगर निगम के वार्ड-एक लोहना की कुल जनसंख्या 3332 है। इनमें 1682 पुरुष व 1650 महिलाएं हैं। मतदाताओं की संख्या 2857 है। 1402 पुरुष व 1455 महिला मतदाता हैं। एसटी (अनुसूचित जनजाति) उम्मीदवार के लिए आरक्षित वार्ड में एसटी 21.22 प्रतिशत मतदाता बंदला पंचायत के वार्ड से जुड़े हैं, लेकिन नामकरण में बंदला का नाम शामिल न किए जाने से इस क्षेत्र के लोगों में कुछ नाराजगी है। लोगों का मानना है कि बंदला पंचायत की अलग पहचान रही है और वार्ड का नाम बंदला-लाहना होना चाहिए था। पूर्व की बंदला पंचायत के बंदला खास क्षेत्र सहित हार, कोहली और लोहना पंचायत के पांच वार्ड सम्मिलित हैं। वहीं पंचायत के वार्ड दो, तीन, चार, छह व सात को मिलाकर नगर निगम वार्ड-एक लोहना में शामिल किया है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोहना वार्ड में इस समुदाय की कुल संख्या 707 है।

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ये हैं वार्ड की मुख्य चुनौतियां

-संकरे रास्ते।

-स्ट्रीट लाइट का अभाव।

-पेयजल समस्या।

-कूड़ा निस्तारण समस्या।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

हमारे क्षेत्र में पक्के रास्तों की कमी है। जो रास्ते व सड़कें बनाई भी गई हैं, वे बहुत संकरी हैं। शाम ढलते ही क्षेत्र में अंधेरा पसर जाता है, क्योंकि पहले पंचायत स्तर पर भी यहां उचित स्ट्रीट लाइट का प्रविधान नहीं किया गया।

-पूनम देवी

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पिछले छह माह से रोजगार बंद है। पंचायतों में मनरेगा के कार्य चल रहे हैं। हमारे यहां वार्ड बनने के बाद रोजगार के अवसर भी नहीं हैं। जॉब कार्ड धारक व गांव के बेरोजगारों को कुछ सुविधा नहीं है।

-अजय कुमार

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नगर निगम के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का अभाव है। यहां घर-घर से कचरा उठाना तक संभव नहीं है। गांव में बसे कई घरों से कचरा अभी तक उठाया नहीं जा रहा है।

-अश्वनी संग्राय

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क्षेत्र में दो समय ही पानी आता है, वह भी बहुत कम। सरकार ने नगर निगम क्षेत्र में कर से राहत देने की बात कही है, लेकिन कभी न कभी तो टैक्स देना ही होगा।

-नीलम कुमारी


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