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इस बार ग्रीन पटाखे मचाएंगे धूम

दीपावली के अवसर पर इस बार रोशनी की लडिय़ों के साथ ईको फ्रेंडली (ग्रीन) पटाखों की धूम रहेगी। खास बात यह है कि इन पटाखों की पैङ्क्षकग में संबंधित कंपनियों ने क्यूआर कोड भी दिया है ताकि ग्राहक खुद भी इसे तय कर सकें कि पटाखा ईको फ्रेंडली है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Mon, 01 Nov 2021 10:21 PM (IST)Updated: Mon, 01 Nov 2021 10:21 PM (IST)
इस बार ग्रीन पटाखे मचाएंगे धूम
ऊना में सड़क किनारे लगी पटाखों की रेहड़ी। जागरण

ऊना, राजेश डढवाल। दीपावली के अवसर पर इस बार रोशनी की लडिय़ों के साथ ईको फ्रेंडली (ग्रीन) पटाखों की धूम रहेगी। खास बात यह है कि इन पटाखों की पैङ्क्षकग में संबंधित कंपनियों ने क्यूआर कोड भी दिया है ताकि ग्राहक खुद भी इस बात की तसदीक कर सकें कि पटाखा ईको फ्रेंडली है। दीपोत्सव को महज दो दिन शेष हैं। ऐसे में ग्रीन पटाखों का स्टाक गोदमों तक पहुंच गया है। मंगलवार से पटाखों की दुकानें सजी दिखने लगेंगी।

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कारोबारियों ने जरूरी औपचारिकताएं निपटा ली हैं। शहर में मंगलवार को पटाखे बिकने शुरू हो जाएंगे। पटाखा कारोबारी अशोक, अनू व अनिल ने बताया कि इस बार परंपरागत कानफाड़ू पटाखों की बजाय ग्रीन पटाखों को बेचना अलग अनुभव होगा।

ग्रीन पटाखों में है कई वैरायटी

जिले के प्रमुख पटाखा विक्रेता अशोक ने बताया कि इस बार केवल ग्रीन पटाखों की ही खरीद की है। हालांकि इन पटाखों की कीमत आम पटाखों से अधिक है। पटाखों में कई प्रकार की वैरायटी में है। हालांकि अभी स्टाक दुकानों में बंद है। ग्रीन पटाखों में परफ्यूम्ड पटाखे खास होंगे।

क्या हैं परफ्यूम्ड पटाखे

इन पटाखों को जलाने पर बेहतरीन खुशबू निकलती है और हानिकारक गैस भी कम निकलती है। पानी के कण पैदा करने वाले पटाखे भी खास आकर्षण होंगे। इन पटाखों में ऐसे केमिकल का प्रयोग किया जाता है जो विस्फोट के समय पानी के कण छोड़ता है। इससे ये कम धुआं छोड़ते हैं और पानी के कण धूल के कणों को सोख लेते हैं। इसके अलावा ग्रीन पटाखों में एल्यूमीनियम का कम इस्तेमाल होता है। अन्य पटाखों की तुलना में इन पटाखों में 50 से 60 फीसद तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है जो पर्यावरण के लिए उपयोगी है।

कैसे करें पहचान

ग्रीन पटाखे सरकारी संस्था राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज हैं। इन पटाखों पर हरे रंग के स्टीकर और बारकोड लगे होते हैं। हरे रंग वाली स्टीकर इस बात की पुष्टि करती है कि ये ग्रीन पटाखे हैं। यदि आप इन पटाखों के निर्माता और इनमें इस्तेमाल हुए केमिकल के बारे में जानना चाहते हैं तो इनके ऊपर लगे बारकोड को स्कैन कर सकते हैं। इतना ही नहीं, ग्रीन पटाखों की पैङ्क्षकग के ऊपर ग्रीन फायरवक्र्स इंडिया का मोनोग्राम लगा होगा। साथ में पैकेट पर साफ शब्दों में न्यू ग्रीन रव्युलेशन भी अंकित होगा। सामान्य पटाखों में ऐसा नहीं होगा। ग्रीन पटाखे 110-125 डेसिबल ध्वनि प्रदूषित करते हैं जबकि सामान्य पटाखे 160 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण करते हैं।

दाम में 20 से 25 प्रतिशत तक अंतर

साधारण पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखे थोड़े महंगे होते हैं। यूं कहें कि इन पटाखों की कीमत साधारण पटाखों से 20 से 25 प्रतिशत महंगी है। यदि सामान्य अनार 50 रुपये का है तो उसी आकार का ग्रीन अनार 65 से 70 रुपये का होगा।

अब तक महज 58 दुकानदारों ने ही किया आवेदन

अब तक जिलेभर से केवल 58 लोगों ने ही पटाखे बेचने का लाइसेंस हासिल करने के लिए आवेदन किया है। देखना यह होगा कि शहर में पटाखा बिक्री तय लाइसेंस धारकों द्वारा जी की जाएगी या फिर रश की आड़ में तय लाइसेंस के अलावा भी पटाखों की बिक्री बदस्तूर होती रहेगी।

रामलीला मैदान में बिकेंगे पटाखे

हर बार की तरह इस बार भी रामलीला मैदान में ही पटाखों की बिक्री को प्रशासनिक मंजूरी मिली है। देखना यह होगा कि क्या इस बार भी तय स्थान के अलावा क्या पटाखों की बिक्री नियमों को ताक पर रखकर जगह जगह होगी।

यह है प्रशासन की गाइडलाइन

आतिशबाजी के भंडारण व विक्रय स्थान पर अपेक्षित सावधानियों का विशेष ध्यान रखना होगा।

पटाखों की सभी दुकानें निर्धारित स्थान पर ही लगाई जाएं।

संबंधित स्थान पर एंबुलेंस व फायर ब्रिगेड की व्यवस्था हो।

विस्फोटक अधिनियम 2008 के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए।

विस्फोटक सामग्री के विक्रय के समय यह सुनिश्चित किया जाए कि 18 वर्ष से कम के बच्चों को वयस्क व्यक्ति की उपस्थिति में ही पटाखे दिए जाएं।

आतिशबाजी आइटम को खोलकर किसी डिस्प्ले विन्डो आदि पर प्रदर्शित न किया जाए।

किसी भी दशा में निर्धारित स्थान की बजाय पटाखों की दुकान अन्यत्र कहीं न लगाई जाए।

केवल ग्रीन पटाखों की ही बिक्री को अनुमति होगी।

प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री करने पर संबंधित दुकानदार पर तय नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

एक से दूसरे के साथ पटाखे बिक्रेता की दुकान के बीच का अंतर कम से कम तीन मीटर का होना जरूरी।

अग्निशमन सिलेंडर, रेत या अन्य आग बुझाने वाली चीजों का पटाखे बिक्री वाले स्थान पर होना जरूरी।

पटाखे बिक्री वाले स्थान पर गैस लैम्प, मिट्टी के तेल वाले लैम्प या बिजली के बेतरतीब तार नहीं होने चाहिए।

नियमों को हल्के में लेने वाले लाइसेंस धारकों का लाइसेंस तत्काल रद किया जा सकता है। साथ ही तय नियमों की अवहेलना करने वालों के लिए सजा और जुर्माने का भी सख्त प्रविधानहै।

भीड़ में कोरोना मानक हवा, संक्रमण बढऩे की आशंका

अभी कुछ माह पहले तक जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की घटती संख्या को लेकर हम राहत महसूस कर रहे थे, लेकिन हाल ही में एक बार फिर से कोविड के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में त्योहारी सीजन में बाजार में लगातार बढ़ती भीड़ के बीच कोरोना मानकों के प्रति लोग लापरवाही दिखा रहे हैं। खरीदारी में व्यस्त लोग न शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर रहे हैं और न मास्क पहन रहे हैं। दुकानदार भी अब कोरोना मानकों को लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। दुकानों के बाहर शारीरिक दूरी के लिए बनाए गोले अब गायब हैं। सैनिटाइजर भी दुकानों से गायब है। ऐसे में त्योहारों के बाद कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है। इसलिए सभी लोगों को कोविड नियमों का पालन करना होगा। वैसे भी बदले मौसम में घुली ठंड के चलते सर्दी, खांसी और बुखार के मरीज बढऩे लगे हैं।

सर्दी में सावधान रहने की जरूरत

वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डा. राजेश के मुताबिक त्योहार के कारण लोगों में आपासी मेलजोल भी बढ़ता है। अभी लोग मास्क पहनने में भी कोताही बरत रहे हैं। वाहन चलाते समय भी लोग मास्क नहीं पहन रहे। इसके कारण संक्रमण फैलने की प्रबल संभावना है। यदि शारीरिक दूरी का पालन नहीं किया तो त्योहार के बाद मरीज बढ़ेंगे। सर्दी में वायरल के लिए अनुकूल वातावरण होने के कारण मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। ओपीडी में हर दूसरा व्यक्ति खांसी जुखाम से पीडि़त है।


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