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धर्मशाला में मनरेगा के तहत होने लगा घराटों का जीर्णोद्धार, बरवाला में तैयार, पर्यटन से जोड़ने की भी योजना

Himachal Gharat विकास खंड धर्मशाला की रक्कड़ के बाद अब बरवाला पंचायत में भी घराट का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। ब्लॉक कार्यालय की ओर से अस्तित्व खो रहे प्राचीन घराटों के जीर्णोद्धार को लेकर पहले इन्हें चिह्नित किया गया

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 12:16 PM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 12:16 PM (IST)
धर्मशाला में मनरेगा के तहत होने लगा घराटों का जीर्णोद्धार, बरवाला में तैयार, पर्यटन से जोड़ने की भी योजना
विकास खंड धर्मशाला की रक्कड़ के बाद अब बरवाला पंचायत में भी घराट का निर्माण कार्य पूरा हो गया है।

धर्मशाला, राजेंद्र डोगरा। विकास खंड धर्मशाला की रक्कड़ के बाद अब बरवाला पंचायत में भी घराट का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। ब्लॉक कार्यालय की ओर से अस्तित्व खो रहे प्राचीन घराटों के जीर्णोद्धार को लेकर पहले इन्हें चिह्नित किया गया और उसके बाद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत इनका पुर्ननिर्माण कार्य शुरू किया। ब्लॉक कार्यालय की ओर से की गई पहल के परिणाम अब सामने आने शुरू हो गए हैं और दो पंचायतों में घराटों का जीर्णोद्वार भी कर दिया गया है। हालांकि अभी दो और पंचायतों में निर्माण कार्य चल रहे हैं और इन्हें भी जल्द पूरा कर लिया जाने का लक्ष्य ब्लॉक कार्यालय ने रखा है।

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ये भी है योजना का उद्देश्य

धर्मशाला ब्लॉक कार्यालय की ओर से जहां प्राचीन घराटों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। वहीं इनसे पर्यटकों को भी आकर्षित करने की योजना है, क्योंकि आधुनिक युग में घराटों का अस्तित्व मिटता जा रहा है और घराटों की जगह मशीनों ने ले ली है। बीडीओ कार्यालय की ओर से ब्लॉक के तहत करीब चार पंचायतों में घराटों का चयन किया गया, ताकि उनका जीर्णोद्धार किया जा सके।

खड्डों व कूहलों किनारे होते हैं घराट

घराट खड्डों या फ‍िर कूहलों के किनारे होते हैं। घराटों के संचालन के लिए वर्षभर पानी की आवश्यकता रहती है। इसीलिए प्राचीन समय में खड्डों व कूहलों के किनारे ही घराटों का निर्माण किया जाता था। घराटों में मक्की व गेहूं की आटे के लिए होने वाली पिसाई में जहां गुणवत्ता बरकरार रहती है, वहीं स्वाद भी।

मनरेगा के तहत एक लाख रुपये खर्च : बीडीओ

विकास खंड अधिकारी अभिजीत कात्यायन का कहना है पहल की गई थी, उसके परिणाम अब सामने आने शुरू हो गए हैं और रक्कड़ के बाद बरवाला में भी घराट का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इन घराटों के जीर्णोद्धार कार्य के लिए मनरेगा के तहत एक लाख रुपये खर्च किया जा रहा है। इससे जहां लोग गेहूं व मक्की की आटे की पिसाई करवा पाएंगे। वहीं इससे भविष्य में पर्यटकों को भी आकर्षित किया जाएगा।


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