अस्पताल में फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ काम कर रहा यह पंचायत उपप्रधान, फ्री शव वाहन की सुविधा भी दे रहे
Garli Panchayat Uppradhan पंचायत गरली के उपप्रधान व समाजसेवी सुशांत मोदगिल जरूरतमंदों की सहायता करने के साथ सरकारी अस्पतालों में भी सेवाएं दे रहे हैं ।सुशांत कोरोना मरीजों को भी खुद गरली विकास मंडल के शव वाहन में मोक्ष धाम तक खुद लेकर जा रहे हैं।
ज्वालामुखी, प्रवीण कुमार शर्मा। Garli Panchayat Up pradhan, तीन साल पहले मर्चेंट नेवी से सेवानिवृत्त हुए उपमण्डल देहरा के गरली गांब के एक हरफनमौला समाजसेवी ने कोरोना संकट काल में जरूरतमंदों की सहायता के लिए प्रेरित किया है। पंचायत गरली के उपप्रधान व समाजसेवी सुशांत मोदगिल जरूरतमंदों की सहायता करने के साथ सरकारी अस्पतालों में भी सेवाएं दे रहे हैं।
चार साल पहले एक सेवानिवृत्त अध्यापिका के आग्रह पर लोकसेवा के लिए लोगों की सहायता से अनाथ तथा आश्रय वहींन लोगों के लिए शव वाहन लेकर आए सुशांत तब नहीं जानते थे कि 2020 में आई कोरोना की महामारी समाज को इतना निर्दयी बना देगी कि अपने ही अपनों को कंधा देने से मुंह मोड़ेंगे। बड़ी बात है कि सुशांत कोरोना मरीजों को भी खुद गरली विकास मंडल के शव वाहन में मोक्ष धाम तक खुद लेकर जा रहे हैं। सुशांत ने देहरा तथा ज्वालामुखी प्रशासन को आग्रह किया है कि दो उपमंडलों के तीनों विधानसभा क्षेत्र जवालामुखी, देहरा तथा जसवां-परागपुर के लिए जव भी शव वाहन की जरूरत पड़े उनकी सेवाएं ली जाएं, वह बिना किसी फीस के सेवाए देंगे।
70 परिवारों को 6 दोस्तों ने अपने बलबूते पहुंचाई राहत सामग्री
सुशांत का जज्बा देखिए उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में छह दोस्तों के साथ मिलकर 70 के करीब परिबारों को राशन के रूप में राहत सामग्री पहुंचाई है। सहायता के लिए उन्होंने कुछ पैमाने तय किए हैं। सूचना मिलने पर खुद आकलन करके उन लोगों की सहायता की जो वास्तव में सहायता के पात्र थे। सुशांत ने लोगों को वही सामग्री दी जो सरकारी डिपो में नहीं मिल रही है।
स्वास्थय विभाग का हाथ बंटवा रहे सुशांत
सुशांत ने खाली समय में लोगों की सेवा के लिए तथा फ्रंट लाइन वर्कर के साथ हाथ बंटवाने के लिए अपनी ड्यूटी गरली तथा रक्कड़ अस्पतालों में लगवाई है। सुशांत कोरोना परीक्षण केंद्रों तथा वैक्सीनेशन केंद्रों में विभाग के कर्मचारियों के साथ हाथ बंटवाने के लिए कंप्यूटर पर सेवाएं दे रहे हैं।
प्रदेश की मॉडल पंचायत बनाना चाहते हैं सुशांत
सुशांत ने धरोहर गांव गरली की स्वछता तथा विकास के लिए लाखों रुपये जेब से खर्च किए हैं। गांव में शव वाहन के लिए लोगों के सहयोग के बाद जब 50,000 रुपये की कमी हुई तो सुशांत ने यह रकम जेब से दी। छोटे से बाजार में शौचालय की कमी पूरी करने के मकसद से 1,27,000 की रकम भी जेब से खर्च की। अब बाज़ार से कूड़ा करकट उठाने तथा शौचालय की सफाई व्यवस्था के लिए सभी दुकानदार सुशांत के प्रयासों का फीस देकर समर्थन करते हैं।
गरली में अपने खर्च से लगवाईं 50 स्ट्रीट लाइट, खुद भरते हैं कमर्शियल बिल
सुशांत ने अपने गांव की गलियों से अंधेरा दूर करने के लिए 50 स्ट्रीट लाइट अपने खर्चे से लगवाई हैं। उनका व्यवसायिक बिल भी खुद भरते हैं। गलियों में लाइटें खुद इंस्टाल की हैं। इससे पहले सुशांत ने पांच आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को शुद्ध पेयजल के लिए वाटर प्यूरीफाई लगवाए थे। महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले सुशांत की माता उर्मिला मोदगिल तथा डॉक्टर पत्नी दिशा मोदगिल भी समाजसेवा में अपने पति का निरंतर साथ दे रहीं हैं।