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फोरलेन संघर्ष समिति को पांच पंचायतों का समर्थन, पढ़ें पूरा मामला Kangra News

पठानकोट-मंडी फोरलेन के नूरपुर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण पर अन्यायपूर्ण अवार्ड के खिलाफ व प्रभावितों के पक्ष में अब पंचायत प्रतिनिधि भी उतर आए हैं। रविवार को फोरलेन संघर्ष समिति व प्रभावितों के पक्ष में कंडवाल पक्का टियाला नागाबाड़ी बासा व जसूर पंचायत के प्रधानों ने नागाबाड़ी में बैठक की।

By Edited By: Published: Mon, 29 Mar 2021 04:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Mar 2021 10:42 AM (IST)
फोरलेन संघर्ष समिति को पांच पंचायतों का समर्थन, पढ़ें पूरा मामला Kangra News
फोरलेन में भूमि अधिग्रहण पर प्रभावितों के पक्ष में अब पंचायत प्रतिनिधि भी उतर आए हैं।

जसूर, संवाद सहयोगी। पठानकोट-मंडी फोरलेन परियोजना के तहत नूरपुर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण पर अन्यायपूर्ण अवार्ड के खिलाफ व प्रभावितों के पक्ष में अब पंचायत प्रतिनिधि भी उतर आए हैं। रविवार को फोरलेन संघर्ष समिति व प्रभावितों के पक्ष में कंडवाल, पक्का टियाला, नागाबाड़ी, बासा व जसूर पंचायत के प्रधानों ने नागाबाड़ी में बैठक की। इस दौरान फैसला लिया कि पंचायतें उक्त परियोजना का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए एनएचएआइ को अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं करेंगी। तर्क दिया कि भूमि अधिग्रहण से उनकी पंचायतों के लोग प्रभावित हो रहे हैं।

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यह भी आरोप लगाया कि बहुमूल्य भूमि का नाममात्र मुआवजा दिया जा रहा है और इससे प्रभावित होने वाले लोग दूसरी जगह भी नहीं बस पाएंगे। बासा के प्रधान करनैल ¨सह, कंडवाल से नरेंद्र कुमार, पक्का टियाला से सरिता देवी, नागाबाड़ी से रंजन मोहन व जसूर की प्रधान ज्योति देवी ने कहा कि फोरलेन परियोजना के तहत प्रभावितों को बहुत कम मुआवजा दिया जा रहा है और इससे प्रभावितों का नए स्थान पर पुनर्वास भी संभव नहीं है। आरोप लगाया कि मुआवजे के रूप में जितने पैसे उन्हें मिल रहे हैं, उनसे कई लोगों के मकानों को उखाड़ने का भी खर्च पूरा नहीं होगा।

प्रधानों के अनुसार, प्रशासन की ओर से जारी अवार्ड के मुताबिक जो मुआवजे की रकम मिलनी है उससे नया आशियाना तो दूर किसी बंजर या खड्ड वाले क्षेत्र में भी जमीन नहीं मिल सकती। कहा कि सरकार को जन भावनाओं को आहत न करते हुए प्रभावितों को उचित मुआवजा देना चाहिए। बैठक में कहा गया कि कई लोगों के भवनों का कुछेक भाग चपेट में आ रहा है, लेकिन भवन उखाड़ने से सारा ढांचा ही बिगड़ जाएगा। परियोजना का सर्वे जब एकमुश्त हुआ तो अवार्ड किस्तों में क्यों दिया जा रहा है।

26 हेक्टेयर भूमि के लिए 79 करोड़ तो अगले अवार्ड में मात्र सात हेक्टेयर भूमि का अवार्ड 66 करोड़ जारी हुआ है। एक ही स्थान पर एक ही जमीन का अलग-अलग अवार्ड जारी हुआ है। तर्क दिया कि इस अन्यायपूर्ण स्थिति पर सरकार को सोचना चाहिए। उधर फोरलेन संघर्ष समिति नूरपुर के पदाधिकारियों ने प्रभावितों के पक्ष में उतरने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों का आभार जताया है।

समिति के अध्यक्ष दरबारी सिंह व महासचिव विजय ¨सह हीर ने कहा कि कंडवाल से भेड खड्ड तक उजड़ रहे करीब चार हजार परिवारों का दर्द पंचायत प्रतिनिधियों ने समझा है। समिति शीघ्र भू-अर्जन अधिकारी कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन के लिए अंतिम रूपरेखा बनाएगी और अब आर-पार की जंग लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष गुहार लगाने के बावजूद प्रभावितों के पक्ष में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।


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