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संसद में बुलंद होगी पहाड़ के हर वर्ग की आवाज, जानिए वजह

four MP win from Himachal all from Different Field संसद में इस बार पहाड़ के हर वर्ग की आवाज गूंजेगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 01:35 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 04:45 PM (IST)
संसद में बुलंद होगी पहाड़ के हर वर्ग की आवाज, जानिए वजह
संसद में बुलंद होगी पहाड़ के हर वर्ग की आवाज, जानिए वजह

नीरज आजाद, धर्मशाला। संसद में इस बार पहाड़ के हर वर्ग की आवाज गूंजेगी। यह इत्तेफाक ही है कि प्रदेश के चारों सांसद अलग-अलग वर्ग से हैं, सैनिक, कर्मचारी, खिलाड़ी और आम परिवार से। आरक्षित क्षेत्र शिमला से सैन्य पृष्ठभूमि से तो हमीरपुर में खेल जगत में पहचान बना चुके नेता संसद में प्रतिनिधित्व करेंगे। मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा कर्मचारी रहे हैं जबकि कांगड़ा के नवनिर्वाचित सांसद किशन कपूर आम परिवार से निकलकर प्रदेश कैबिनेट में हैैं।

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इस बार चुनावी जंग में डॉक्ट्रेट (पीएचडी) की उपाधि पाने वाले भी मैदान में कूदे थे। तीन प्रत्याशी ऐसे थे, जिन्होंने पीएचडी की थी जबकि एक ही निरक्षर प्रत्याशी चुनावी जंग में था। जाने-अनजाने इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों ने जातिगत समीकरणों को देखते हुए भी प्रत्याशी उतारे थे। मंडी में ब्राह्मïण के मुकाबले ब्राह्मïण, हमीरपुर में राजपूत के बदले राजपूत प्रत्याशी ही आमने-सामने थे। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने हलके में प्रभावी गद्दी समुदाय से प्रत्याशी उतार कर कांग्र्रेस को टक्कर देने के लिए मंत्री किशन कपूर को मैदान में उतारा था। इसके बाद कांग्र्रेस ने हलके में मजबूत पैठ रखने वाले ओबीसी समुदाय से कांगड़ा के विधायक पवन काजल पर दांव खेला था। चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट हो गया कि प्रदेश का मतदाता जातिवाद से ऊपर उठकर अपना प्रतिनिधि चुनता है। अगर जातिवाद हावी होता तो कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में साढ़े चार लाख मतदाता की संख्या वाला ओबीसी समुदाय के प्रत्याशी पवन काजल विजयी होते।

परिवारवाद की बातें भी यहां पर कोई मायने नहीं रखती हैं। अगर परिवार का समर्थन होता तो केंद्रीय मंत्री रहे पंडित सुखराम के पौत्र व राज्य सरकार में मंत्री रहे अनिल शर्मा के बेटे आश्रय शर्मा भी चुनाव जीत जाते या परिवारवाद विरोध होता तो हमीरपुर से भाजपा प्रत्याशी व सांसद अनुराग ठाकुर भी चौथी बार चुनाव नहीं जीत पाते। चुनाव से यह बात भी तय हो गई कि प्रदेश का मतदाता किसी के प्रभाव में नहीं आता है। मंडी संसदीय क्षेत्र में पंडित सुखराम का प्रभाव रहा है। पोते आश्रय को चुनावी जंग में उतारने से यहां पर रोचक मुकाबला माना जा रहा था। लेकिन मंडी के लोगों ने किसी प्रभाव में आए रामस्वरूप शर्मा पर फिर भरोसा जताया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह क्षेत्र होने का भी रामस्वरूप शर्मा को लाभ मिला है।

मतदाता समझता है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत से मुख्यमंत्री की पकड़ मजबूत साबित होगी और यहां विकास की रफ्तार भी तेज होगी। हमीरपुर हलके में कांग्र्रेस ने अनुराग ठाकुर को संसद में चौथी बार जाने से रोकने के लिए काफी होमवर्क कर बिलासपुर जिला से संबंधित एवं नयनादेवी के विधायक राम लाल ठाकुर को चौथी बार मैदान में उतारा था लेकिन अनुराग ठाकुर ने अपनी पकड़ साबित कर चौका मारा है। अनुराग ने चुनाव से काफी समय पहले क्षेत्र में खेल महाकुंभ का आयोजन कर युवाओं को जोडऩे का प्रयास किया। इसके अलावा सांसद स्वास्थ्य वैन के माध्यम से ग्र्रामीण क्षेत्रों में लोगों को घर-द्वार स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाई।

हिमाचल का मतदाता नाप तोल कर अपने प्रतिनिधि चुनता रहा है। अगर कोई सरकार उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है तो अगली बार उसे बदलने में भी हिचकता नहीं है। यही कारण है कि यहां पर हर बार सरकार बदलती रही है। प्रदेश की चारों सीटों पर भाजपा की पुन: जीत से एक बात स्पष्ट होती है कि प्रदेश के लोग केंद्र व राज्य सरकार की नीतियों से संतुष्ट हैं इसी कारण पुन: अवसर दिया है।

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