भोजन बिगाड़ रहा सेहत, गर्भवती महिलाएं व बच्चे जूझ रहे बीमारियों से; प्राकृतिक खेती ही समाधान
आज कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता है कि जो भोजन वह जीने के लिए कर रहा है वह उसे जीवन दे रहा है या मौत की तरफ ले जा रहा है।
शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। आज कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता है कि जो भोजन वह जीने के लिए कर रहा है वह उसे जीवन दे रहा है या मौत की तरफ ले जा रहा है। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों में रासायनिक तत्वों और कीटनाशकों का बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग है। यही नहीं मुनाफे के चक्कर में कुछ लोग सब्जियों में इंजेक्शन तक का प्रयोग कर रहे हैं जो सेहत से खिलवाड़ के साथ कैंसर जैसी महामारी की तरफ धकेल रहे हैं। ऐसे में प्राकृतिक खेती व संतुलित आहार स्वस्थ व सुखी जीवन का आधार है। इसे जहर मुक्त खेती का नाम दिया है। इससे बीमार होने की चिंता से मुक्त होने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के सर्वे के अनुसार प्रदेश में करीब 50 फीसद गर्भवती महिलाएं खून की कमी के साथ पोषण की कमी से जूझ रही हैं। प्रदेश में करीब चालीस फीसद बच्चे कैल्शियम और आयरन की कमी से जूझ रहे हैं। इसका कारण फास्ट फूड और सब्जियां, फल और अन्य खाद्य पदार्थ हैं, जो रासायनिक खादों और कीटनाशकों से तैयार किए जा रहे हैं। हिमाचल में 9.60 लाख किसान परिवार हैं, जिनमें से 55 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती शुरू कर की है और इसके बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। प्राकृतिक खेती ने उत्पादन लागत को कम करने के साथ उत्पादन को बढ़ाया और प्राकृतिक गुणों से भरपूर किया है। यही नहीं किसान प्राकृतिक खेती से एक साथ बीस फसलों को तैयार कर रहे हैं, जिससे उन्हें उचित दाम भी मिल रहे हैं।
प्राकृतिक व संतुलित आहार स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है। जो ज्यादा चमकने वाले खाद्य पदार्थ होते हैं और जिस मौसम में होने चाहिए, उसमें नहीं होते वह प्राकृतिक न होकर प्रोसेस्ड होते हैं। संतुलित आहार के लिए सब्जी व फलों को धोकर खाने में इस्तेमाल करें। -डाॅ. निधि उपाध्याय, चिकित्सा अधिकारी।
स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक खेती आवश्यक है। रासायनिक खेती कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन रही है। इसलिए प्राकृतिक खेती को जहरमुक्त खेती का नाम भी दिया गया है। प्रदेश की 3226 पंचायतों में से 2934 पंचायतों को प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना को शुरु किया गया है। -राजेश्वर चंदेल, कार्यकारी निदेशक प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना।