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फायर सीजन की तैयारी: तंग गलियां व चंगर के हालात अग्निशमन कर्मियों की राह में बन सकते हैं अड़चन

Fire Brigage जिला कांगड़ा में फायर सीजन में आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग ने अपनी ओर से सभी तैयारियां की हैं और अभी तक सफलता भी हाथ लगी है जिसमें नुकसान को कम किया है। लेकिन अभी मई और जून शेष हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 12:42 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 12:42 PM (IST)
फायर सीजन की तैयारी: तंग गलियां व चंगर के हालात अग्निशमन कर्मियों की राह में बन सकते हैं अड़चन
कांगड़ा में फायर सीजन में आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग ने अपनी ओर से सभी तैयारियां की

धर्मशाला, राजेंद्र डोगरा। जिला कांगड़ा में फायर सीजन में आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग ने अपनी ओर से सभी तैयारियां की हैं और अभी तक सफलता भी हाथ लगी है, जिसमें नुकसान को कम किया है। लेकिन अभी मई और जून शेष हैं। ऐसे में बाधाएं भी विभागीय कर्मियों की राह में बेशुमार हैं। आलम यह है कि शहरों में तंग गलियां हैं, तो चंगर के हालात भी अग्निकांड पर काबू पाने की राह में अड़चन खड़ी करेंगे। इसकी वजह सीधी सी है कि तंग गलियों में बड़ा वाहन गुजर नहीं सकता और चंगर में पानी की किल्लत समस्या का सबब बनेगी।

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शहरों की बात करें तो जिले के सबसे बड़े शहर धर्मशाला के ही कई वार्डों में तंग गलियां हैं। इनमें कोतवाली बाजार के साथ गुरुद्वारा रोड के साथ गुजरती गलियां, मैक्लोडगंज की तंग गलियां, खजांची मोहल्ला की तंग गलियां भी शामिल हैं। जहां दमकल का बड़ा वाहन नहीं गुजर सकता। इनमें कई गलियों में क्यूआरवी वाहन तो गुजरता है, लेकिन इस वाहन में केवल 300 लीटर पानी की ही क्षमता रहती है।

ऐसे ही हालात कांगड़ा व पालमपुर के अलावा अन्य शहरों के भी हैं। जहां तंग गलियां हर बार फायर सीजन में अग्निकांड के दौरान दमकल विभाग के कर्मियों की परेशानी बढ़ा देती है। वहीं चंगर क्षेत्र में तो ऐसे हालात हैं कि 5 से लेकर 10 किलोमीटर तक पेयजल का कोई सोर्स नहीं मिलता है। जिस कारण आवश्यकता पड़ने पर पुन: वाहन को फायर चौकी वाले स्थानों पर ही लाना पुन: पानी भरने के लिए लाना कर्मियों की मजबूरी बन जाता है। हालांकि पुरानी चौकियों में हाइड्रेंट्स की सुविधा है जबकि नई खुली चौकियों में अभी इक्का-दुक्का स्थानों पर ही सुविधा नसीब है।

ये हैं अड़चनें

  • तंग गलियां, चंगर के हालात जहां 5 से 10 किलोमीटर तक कई बार पानी का सोर्स नहीं मिलता।
  • ट्रैफिक व्यवस्था भी कई बार अड़चन खड़ी करती है। हालांकि मुख्य मार्गों पर तो स्थिति ठीक रहती है, लेकिन लिंक रोड पर सड़क किनारे वाहन पार्क होने से कई बार वाहन क्रॉस नहीं हो पाता।

यह है स्टाफ की स्थिति

जिले के मुख्य अग्निशमन व दो उप अग्निशमन केंद्रों के अलावा फायर चौकियाें में 198 अधिकारियों व कर्मचारियों का स्टाफ है। इनमें 91 अधिकारी व कर्मचारी नियमित तौर पर हैं, जबकि 107 कर्मी होमगार्ड के हैं। जिनमें 85 फायरमैन व 22 चालक शामिल हैं। नियमित स्टाफ की बात की जाएं तो इसमें अग्निशमन अधिकारी, दो उप अग्निशमन अधिकारी, लीडिंग फायरमैन, चालक व फायरमैन हैं, जिनकी संख्या 91 है।


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