सीएम के आदेश पर निजी अस्पताल के मालिक व डॉक्टरों पर FIR, नवजात के इलाज में लापरवाही का आरोप
निजी अस्पताल के मालिक समेत तीन डॉक्टरों पर एक नवजात शिशु के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
बिलासपुर, जागरण संवाददाता। बिलासपुर-घुमारवीं नेशनल हाईवे पर कोठी में लगभग 15 वर्ष से संचालित एक निजी अस्पताल के मालिक समेत तीन डॉक्टरों पर एक नवजात शिशु के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजी शिकायत में उन्होंने पुलिस को जांच करके एफआइआर दर्ज करने के लिए कहा था जिसके आधार पर एसपी बिलासपुर ने सदर पुलिस स्टेशन के प्रभारी डीएसपी अजय ठाकुर के जरिये प्रारंभिक जांच करवाने के बाद इस मामले में यह मुकदमा दर्ज किया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घुमारवीं उपमंडल के तहत कोट निवासी मुनेश राज शर्मा ने मुख्यमंत्री को लिखी शिकायत में कहा है कि पिछले वर्ष दिसंबर में उनकी पत्नी का कोठी स्थित निजी अस्पताल में प्रसव हुआ था जिससे उन्हें बेटा पैदा हुआ था। बेटे के पैदा होने के बाद उसके बीमार होने पर कुछ समय के लिए इसी अस्पताल में तैनात डॉक्टरों ने उसका इलाज किया और बाद में यह कहकर छुट्टी दे दी कि बेटा ठीक है लेकिन कुछ दिन बाद दोबारा से बेटे की तबीयत खराब हो गई तो परिवार के लोग उसे जिला हमीरपुर के भोटा स्थित एक अस्पताल में लेकर चले गए जहां पर डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे का ऑपरेशन होना है।
लेकिन परिवार के लोगों ने इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए बच्चे को पीजीआइ रेफर करवा लिया। पीजीआइ में जनवरी में बच्चे की मौत हो गई। शिकायत में कहा गया है कि पीजीआइ में बच्चे का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा है कि इस निजी अस्पताल जो कि बिलासपुर से घुमारवीं रोड पर कोठी में स्थित है के डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज में इसके पैदा होने के तुरंत बाद ही लापरवाही बरती है। साथ ही सही डायग्नोसिस भी नहीं किया।
मुख्यमंत्री की ओर से दिए जांच के आदेश के बाद प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर पुलिस ने सदर थाना में अस्पताल के एमडी एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ और शिशु रोग विशेषज्ञ के खिलाफ इलाज में लापरवाही बरतने और जीवन को खतरे में डालने जैसी धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज की है।
इधर अस्पताल के प्रबंध निदेशक ने कहा है कि उन्हें अभी किसी एफआइआर दर्ज होने की जानकारी नहीं है। कुछ दिन पहले सदर थाने के एसएचओ अजय ठाकुर उनके अस्पताल में जांच के लिए आए थे। सिर्फ उन्हें इतनी ही जानकारी है जो तथ्य उनके अस्पताल से पुलिस ने पहले जुटाने की कोशिश की थी उसमें अस्पताल प्रबंधन में पूरा सहयोग किया था।