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जानलेवा हुए ब्लास्टिंग के जख्म

किन्नौर जिला को बिजली उत्पादन का हब माना जाता है। जिला में लगे बिजली प्रोजेक्ट हिमाचल के गांवों को ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों को रोशन कर रहे हैं। एक के बाद एक बिजली प्रोजेक्ट लगने से यहां के पहाड़ छलनी हो गए हैं।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Thu, 12 Aug 2021 09:39 PM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 09:39 PM (IST)
निगुलसरी में पहाड़ टूटने से गिरे मलबे में लोगों को खोजते बचाव दल के सदस्य। जागरण

शिमला, अनिल ठाकुर। किन्नौर जिला को बिजली उत्पादन का हब माना जाता है। जिला में लगे बिजली प्रोजेक्ट हिमाचल के गांवों को ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों को रोशन कर रहे हैं। एक के बाद एक बिजली प्रोजेक्ट लगने से यहां के पहाड़ छलनी हो गए हैं। प्रोजेक्ट निर्माण के लिए दोहरी मार यहां के पहाड़ों को झेलनी पड़ती है। पहले प्रोजेक्ट स्थल तक सड़क निकालने के लिए जेसीबी से कङ्क्षटग की जाती है। चट्टानों को तोडऩे के लिए ब्लास्टिंग भी होती है। इसके बाद प्रोजेक्टों की ओर से बनाई जाने वाली सुरंग के लिए ब्लास्टिंग होती है। ये पहाड़ों को छलनी कर देती है।

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मौजूदा समय में किन्नौर जिला में 22 से ज्यादा प्रोजेक्ट विद्युत उत्पादन कर रहे हैं, जबकि 30 के करीब छोटे व बड़े प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य चल रहा है। इनमें कई प्रोजेक्ट पांच व 10 मेगावाट से कम विद्युत क्षमता के भी शामिल हैं। शोधकर्ता कई बार अपनी राय दे चुके हैं। बेतरतीब ढंग से काम करने की बजाय वैज्ञानिक तरीके से काम करने की सलाह दी गई है।

उत्पादन और बिजली पहुंचाना दोनों ही चुनौतीपूर्ण

किन्नौर में बिजली प्रोजेक्ट लगाना जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही चुनौतीपूर्ण ट्रांसमिशन लाइन के जरिये बिजली पहुंचाना भी है। किन्नौर में सतलुज नदी बहती है। पानी का स्तर अच्छा होने के चलते विद्युत दोहन की अपार क्षमता है, इसलिए ज्यादा प्रोजेक्ट यहीं पर लगते हैं।

ये चल रहे बड़े प्रोजेक्ट

प्रोजेक्ट का नाम      विद्युत क्षमता

नाथपा झाखड़ी       1500 मेगावाट

भावा                     120 मेगावाट

बास्पा                   300 मेगावाट

कड़छम वांगतू       1045 मेगावाट

काशंग-1               65 मेगावाट

काशंग-2,3           130 मेगावाट

काशंग-4             48 मेगावाट

विकास जरूरी, लेकिन वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए

विकास समय की जरूरत है, लेकिन अवैज्ञाानिक तरीके से काम होगा तो इसके ज्यादा नुकसान होंगे। बिजली प्रोजेक्ट के लिए टनल निर्माण हो या फिर अन्य कार्य वैज्ञानिक तरीके और वहां की भूगौलिक परिस्थिति को देखते हुए किए जाने चाहिए। ऐसा करने से भविष्य में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

-जगत सिंह नेगी, विधायक किन्नौर।

सारा दोष बिजली प्रोजेक्ट को देना गलत

किन्नौर जिला में भूस्खलन के लिए सारा दोष बिजली प्रोजेक्टों को देना गलत है। सड़क निर्माण के लिए की जाने वाली कङ्क्षटग भी इसके लिए दोषी है। प्रोजेक्ट निर्माण के लिए जो टनल बनाई जाती है उसके लिए ब्लास्टिंग भूमि के अंदर होती है, जबकि सड़क निर्माण की कङ्क्षटग और इसके लिए ब्लास्टिंग से ज्यादा नुकसान होता है। बिजली प्रोजेक्टों को सारा दोष देना गलत है।

-राजेश शर्मा, अध्यक्ष, इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर।


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