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फर्जी डिग्री घोटाला: जेई तक भी पहुंची सीआइडी जांच की आंच, पीडब्ल्यूडी से तलब किया डिग्री का रिकार्ड

Fake Degrees Case सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री घोटाले की जांच की आंच लोक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंताओं (जेई) तक आ गई है। डीजीपी संजय कुंडू ने पीडब्ल्यूडी से जेई का रिकार्ड तलब किया है

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 09:03 AM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 09:03 AM (IST)
फर्जी डिग्री घोटाला: जेई तक भी पहुंची सीआइडी जांच की आंच, पीडब्ल्यूडी से तलब किया डिग्री का रिकार्ड
फर्जी डिग्री घोटाले की जांच की आंच लोक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंताओं (जेई) तक आ गई है।

शिमला, रमेश सिंगटा। Fake Degrees Case, सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री घोटाले की जांच की आंच लोक निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंताओं (जेई) तक आ गई है। डीजीपी संजय कुंडू ने पीडब्ल्यूडी से जेई का रिकार्ड तलब किया है, जिन्होंने मानव भारती विवि से डिप्लोमा, डिग्री, अन्य सर्टिफिकेट हासिल किया है। इस संबंध में प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग ने ईएनसी (इंजीनियर इन चीफ) को पत्र लिखा है। पत्र में दिए निर्देश का पालन करते हुए ईएनसी ने सभी चीफ इंजीनियर, ईएस व एक्सईएन से पूरा रिकार्ड मांगा है। इसमें डीजीपी, प्रधान सचिव के पत्रों का हवाला दिया गया है। निर्देश है कि फील्ड के अधिकारी उन डिग्री, डिप्लोमा को वेरीफाई करें, जो मानव भारती विवि की ओर से जारी किए गए हैं। अब इसके आधार पर सभी जेई का रिकार्ड जांचा जा रहा है।

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रिकार्ड तलब करने से उन जेई की धुकधकी बढ़ गई है, जिन्होंने अन्य राज्यों से डिग्री, डिप्लोमा लिया हैं और इनके आधार पर हिमाचल में नौकरी कर रहे हैं। इनमें से कई की डिग्री  संदिग्ध बताई जा रही हैं। यह बात विभागीय जांच में सामने आ सकती है कि डिग्री वैध है या नहीं। कई तो इनके सहारे न केवल पदोन्नत हुए बल्कि रिटायर भी हो गए हैं।

डिजिटल डाटा उपलब्ध

फर्जी डिग्री घोटाले की जांच सीआइडी की एसआइटी कर रही है। जांच एजेंसी के पास डिजिटल डाटा उपलब्ध है। मानव भारती विवि ने मैनुअल डिग्री व डिप्लोमा का अधूरा रिकार्ड रखा, लेकिन दबिश के दौरान सीआइडी को पुख्ता डिजिटल रिकार्ड हाथ लगा था। इसका फोरेंसिक परीक्षण भी करवाया गया।

अधिकांश डिग्री अन्य राज्यों में बांटी व बेची

जांच से पता चला है कि विश्वविद्यालय ने अधिकांश डिग्री अन्य राज्यों को बांटी व बेची गईं। सूत्रों के अनुसार डिजिटल डाटा इस बात का गवाह है। इसके अलावा आरोपित एजेंट से भी डिग्री की सूची मिली है। डायरियों में लेनदेन का हिसाब किताब रखा जाता था। इन डिग्री के आधार पर कितनों ने नौकरी पाई, अभी तक इसका पुख्ता डाटा कंपाइल नहीं हो पाया है।


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