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'बिच्छू' से तैयार होगा कपड़ा, देगा रोजगार; आइआइटी ने खोजा फैब्रिक तैयार करने का फार्मूला

Bichu Herbs हिमालय क्षेत्र में बहुतायत में पाई जाने वाली बिच्छू बूटी (अर्टिका पर्वीफ्लोरा) के फाइबर से उच्च गुणवत्ता का कपड़ा बनेगा।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 07:48 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 07:48 AM (IST)
'बिच्छू' से तैयार होगा कपड़ा, देगा रोजगार; आइआइटी ने खोजा फैब्रिक तैयार करने का फार्मूला
'बिच्छू' से तैयार होगा कपड़ा, देगा रोजगार; आइआइटी ने खोजा फैब्रिक तैयार करने का फार्मूला

मंडी, हंसराज सैनी। हिमालय क्षेत्र में बहुतायत में पाई जाने वाली बिच्छू बूटी (अर्टिका पर्वीफ्लोरा) के फाइबर से उच्च गुणवत्ता का कपड़ा बनेगा। यह कपड़ा सर्दी में गर्म रखेगा और गर्मी में शीतलता प्रदान करेगा। कपड़े की रंगाई में प्राकृतिक रंगों का उपयोग होगा। बिच्छू बूटी के फाइबर से बना कपड़ा कॉटन की अपेक्षा कम सिकुड़ेगा। बिच्छू बूटी एकत्र करने में स्वयं सहायता समूहों और महिला मंडलों की मदद ली जाएगी। इससे रोजगार के अवसर सृजित होने से लोगों की आर्थिक सुदृढ़ होगी।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी, हिमाचल प्रदेश के शोधकर्ताओं की देखरेख में स्टार्टअप के तहत उत्तराखंड  की देव एथिकल सस्टेनेबल क्राफ्ट्स एंड टेक्सटाइल्स (डेस्काटुक) ने बिच्छू बूटी और रेशायुक्त घास से धागा तैयार करने की शुरुआत की है। निधि सीड सपोर्ट सिस्टम कार्यक्रम के तहत आइआइटी ने डेस्काटुक को 15 लाख रुपये की फंडिंग की थी।

शोधकर्ता बिच्छू बूटी से बने धागे को कॉटन के साथ मिश्रित कर उच्च गुणवत्ता का फैब्रिक बनाने मे सफल रहे हैं। यह फैब्रिक कॉटन की अपेक्षा कम सिकुड़ता है। बिच्छू बूटी का उपयोग फाइबर के तौर पर होने से जंगलों को इनकी झाडिय़ों से निजात मिलेगी। पौधरोपण क्षेत्र बढ़ेगा और बूटी का उपयोग कपड़ा बनाने में होने से लोगों को रोजगार मिलेगा।

हिमाचल सहित हिमालय क्षेत्र के कई राज्यों में बिच्छू बूटी साग या फिर दवा बनाने तक ही सीमित थी। इसमें विटामिन ए, सी, आयरन और कैल्शियम पाया जाता है। शोधकर्ताओं ने बिच्छू बूटी के अलावा हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाली घास की कई किस्मों से भी फाइबर-फैब्रिक बनाने की तकनीक ईजाद की है। उसका पेटेंट करवाया जा रहा है। निकट भविष्य में लोग इनकी खेती भी कर सकेंगे।

हिमालय क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बिच्छू बूटी पाई जाती है। कुछ क्षेत्रों में लोग इसकी पत्तियों का उपयोग साग के रूप में करते हैं। इसके रेशे से धागा बनाने की तकनीक ईजाद हुई है तो वन विभाग को भी इससे बड़ी राहत मिलेगी। -उपासना पटियाल, अरण्यपाल वन, मंडी

हिमाचल व उत्तराखंड के जंगलों में बिच्छू बूटी बड़े पैमाने पर उपलब्ध है। रोजगार के साधन न होने से पहाड़ी क्षेत्रों के लोग शहरों को पलायन करने को मजबूर हैं। बूटी और घास के फाइबर से फाइन धागा बनाने की तकनीक विकसित की गई है। इससे पहाड़ों में पलायन रुकेगा। रोजगार के अवसर सृजित होंगे। फाइबर से बने धागे को कॉटन के अलावा सिल्क और ऊन में मिलाकर उत्पाद बनाए जाएंगे।  -केडी शर्मा, सीइओ डेस्काटुक।

क्या है बिच्छू बूटी...

हिमालय क्षेत्र में बिच्छू बूटी गांवों के आसपास और जंगलों में बड़े पैमाने पर पाई जाती है। इसके पत्तों पर कांटे होते हैं। इनके चुभने से बिच्छू के डंक मारने जैसी जलन होती है। यह लोगों की नजर में तिरस्कृत पौधा है। झाडिय़ों के रूप में उगता है।


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