फोरलेन प्रभावितों को फेक्टर-एक के हिसाब से मुआवजा नहीं होगा सहन
विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने अपने विजन डाक्युमेंट में स्पष्ट कहा था कि फोरलेन प्रभावितों को फैक्टर 2 के हिसाब से ही मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन प्रदेश में अब सत्तासीन भाजपा सरकार अपने ही इस वायदे से पीछे हटकर
संवाद सूत्र, जसूर : पूर्व विधायक अजय महाजन ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने विजन डाक्युमेंट में कहा था कि फोरलेन प्रभावितों को फेक्टर-दो के हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन प्रदेश में अब सत्तासीन भाजपा वादे से पीछे हटकर अब फेक्टर-एक की बात कर अपनी कथनी और करनी में अंतर दिखा रही है। प्रदेश कांग्रेस महासचिव एवं नूरपुर के पूर्व विधायक अजय महाजन ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि फेक्टर-एक को किसी भी सूरत में माना नहीं जाएगा और प्रदेश फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति व अन्य समितियों के साथ मिलकर संघर्ष को और तेज किया जाएगा।
केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गत दिनों चंडीगढ़ में कहा था कि यदि प्रदेश सरकार फेक्टर-दो का प्रस्ताव दे तो केंद्र को फेक्टर-दो के हिसाब से मुआवजा देने में कोई आपत्ति नहीं है। पंजाब, उतराखंड, बिहार जैसे प्रदेशों में फेक्टर 2 तो फिर प्रदेश सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी है कि वह जनता को फेक्टर 2 के तहत चार गुणा मुआवजे की मांग को अनदेखी करने पर तुली हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अपने मन की बात कार्यक्रम के तहत देश के नाम दिए संबोधन में भी स्पष्ट तौर पर फेक्टर 2 के हिसाब से चार गुना मुआवजा व प्रभावित परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने की बात सार्वजनिक तौर पर कही थी, लेकिन प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के मन की बात, अपना विजन डाक्युमेंट का वायदा और केंद्रीय मंत्री की सार्वजनिक फेक्टर-दो की बात मानने को क्यों तैयार नहीं है यह प्रभावित हो रहे लोगों की समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि वह फोरलेन के विरोधी नहीं है। लेकिन पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग की प्रस्तावित फोरलेन योजना में नूरपुर से लेकर मंडी तक करीब एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों के हजारों लोग उजड़ेंगे जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ लगती बहुमूल्य भूमि चपेट में आएगी तो वहीं लोगों के रिहायशी मकान व कारोबारी परिसर भी तबाह हो जाएंगे। इन्हें पुनर्वासित होने में काफी खर्च आएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार को बड़ा दिल दिखाकर आगे आना चाहिए था लेकिन वर्तमान में ऐसा कहीं दिख नहीं रहा।
उन्होंने कहा सबसे ज्यादा पौंग डैम विस्थापित जोकि पहले ही करीब 50 साल से हक की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं उन्हें हकों को पाने के लिए अभी भी संघर्ष करना पड़ रहा है। पौंग से विस्थापित हुए लोग बड़ी मुश्किल से स्थापित हो रहे थे और फोरलेन के चलते उन्हें फिर विस्थापन का दंश झेलने के मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया कि प्रदेश सरकार अफसरशाही की बात को न मानकर विवेक से काम ले। प्रभावित लोगों, प्रदेश फोरलेन संयुक्त संघर्ष समिति व अन्य समितियों की मांगों को मानकर फैक्टर 2 के हिसाब से चार गुना मुआवजे का प्रावधान कर अपने विजन डाक्युमेंट को लागू करे।