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करोड़ों की घोषणाओं के बाद भी खाकी की झोली रह गई खाली, पुलिस कर्मी निराश

हिमाचल में संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक में बेशक साढ़े सात हजार करोड़ की घोषणाएं हुई हो लेकिन सरकार की झोली खाकी के लिए खाली ही रही। जेसीसी बैठक से हजारों पुलिस कर्मियों को निराशा हाथ लगी है।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 11:40 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 11:40 PM (IST)
करोड़ों की घोषणाओं के बाद भी खाकी की झोली रह गई खाली, पुलिस कर्मी निराश
करोड़ों की घोषणाओं के बाद भी पुलिस कर्मी निराश। जागरण आर्काइव

शिमला, राज्य ब्यूरो। संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक में बेशक साढ़े सात हजार करोड़ की घोषणाएं हुई हो, लेकिन सरकार की झोली खाकी के लिए खाली ही रही। जेसीसी बैठक से हजारों पुलिस कर्मियों को निराशा हाथ लगी है। अब वे मुख्यमंत्री के द्वार पहुंच गए हैं। वर्दीधारी पुलिस जवानों ने रविवार को शिमला स्थित ओकओवर में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की। उन्होंने आग्रह किया है कि पुलिस कांस्टेबल के वेतनमान न देने से जुड़ी आठ साल की शर्त को हटाया जाए। अब अनुबंध कर्मी भी तीन दो में नियमित होंगे, जबकि नियमित आधार पर भर्ती पुलिस जवानों को आठ साल तक का इंतजार करना पड़ेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस कर्मी किसी भी संगठन के बैनर तले नहीं मिले। वे परेड की रिहर्सल करने शिमला आए हैं। शाम को पांच बजे उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें उनकी मांग पूरी करने का भरोसा दिया है।

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क्या है अभी व्यवस्था

पुलिस महकमे में कांस्टेबल की भर्ती नियमित आधार पर होती है, पर वेतनमान अनुबंध के बराबर भी नहीं मिलता है। प्रदेश का यह इकलौता ऐसा विभाग है, जहां नियमित के बराबर वेतनमान आठ साल के सेवाकाल के बाद मिलते हैं। आठ साल के फेर में हजारों पुलिस कर्मी फंसे हुए हैं। राज्य पुलिस मुख्यालय ने भी इनके हितों की जोरदार पैरवी की थी।लेकिन सचिवालय में बैठे नौकरशाहों ने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था

कब लगाई अनोखी शर्त

प्रदेश में पहले कांस्टेबल को नियमित जैसा ही वेतनमान मिलता था। लेकिन 2012 में अनोखी शर्त लगाई। वित्त विभाग ने इसे 2013 से लागू कर दिया। इसके अनुसार कांस्टेबल का पद तो नियमित होगा, पर पूरे वेतनमान के लिए आठ साल तक इंतजार करना होगा। इसके बाद पुलिस कल्याण संघ ने गृह विभाग, डीजीपी को कानूनी नोटिस दिया। इस बीच 2015 में तत्कालीन सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में लिए फैसले के बाद 2013 के बैच को तीन साल के सेवाकाल के बाद ही पे बैंड जारी कर दिया था। आदेश 2016 में जारी किए। इसके बाद के सभी बैच के लिए आठ साल की ही शर्त लगा दी। यह अब तक जारी है।

क्या है अन्य के लिए व्यवस्था

वित्त विभाग ने दूसरे विभागों के लिए भी शर्त लगाई है। जैसे ही कोई कर्मी अनुबंध से नियमित होगा, उसे अगले दो साल तक प्रोबेशन पर रखा जाएगा, प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद ही पूरे वित्तीय लाभ मिलेंगे। अभी तक पांच साल के सेवाकाल के बाद ये लाभ जारी होते थे। अब अनुबंध कार्यकाल दो साल का कर दिया है। जबकि दिहाड़ीदार भी चार साल के सेवाकाल के बाद नियमित होंगे।

24 घंटे ड्यूटी देने वाले कांस्टेबल के हितों के साथ कई वर्षों से खिलवाड़ किया जा रहा है। हमने कई बार मुद्दा उठाया, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है।

-रमेश चौहान, अध्यक्ष, पुलिस कल्याण संघ


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