18 घंटे जनसेवा कर रहा यह इंजीनियर, रोजाना 500 कोरोना योद्धाओं और गरीबों को करवा रहा अल्पाहार
Engineer do Public Service 24 मार्च से ऊना निवासी दिनेश मनन ने अपना सफर शुरू कर दिया। अल सुबह घर से 500 से ज्यादा लोगों के लिए चाय-नाश्ता लेकर बाइक पर निकल पड़े।
शिमला, प्रकाश भारद्वाज। ये जमाना स्वहित साधने का माना जाता है, दूसरों के दु:ख-दर्द को कौन समझता है। लेकिन दिनेश मनन जैसे मानवीय संवेदनाओं को समझने वाले लोग भी मौजूद हैं। कोरोना ने दस्तक दी और कुछ दिन बाद ही लॉकडाउन की घोषणा कर दी। 24 मार्च से ऊना निवासी दिनेश मनन ने अपना सफर शुरू कर दिया। अल सुबह घर से 500 से ज्यादा लोगों के लिए चाय-नाश्ता लेकर बाइक पर निकल पड़े।
रोजाना राह चलतों को अल्पाहार करवाते हुए कई किलोमीटर का सफर कर घर लौटते। दोपहर बाद फिर नमकीन, मठ्ठी, दूध-कॉफी लेकर सेवा का सफर फिर शुरू हो जाता। जरूरतमंदों को पका हुआ भोजन भी परोसा जाता। दिनेश मनन का रोजाना 18 घंटे तक जनसेवा का यह सफर लगातार जारी रहा। सुबह, दोपहर व शाम को घर पहुंचकर सब पैक कर फिर सड़क-सड़क घूमने का रुख कर देते हैं। परिवार के सदस्य अल सुबह से रात तक खाद्य पदार्थ तैयार करने में जुटे रहते हैं। सुबह पांच बजे इनकी दिनचर्या शुरू हो जाती है, जो देर रात तक चलती है।
दिनेश मनन ऊना जिला के मैहतपुर के निवासी हैं और उनके लिए ऊना, टाहलीवाल, गगरेट के बीच में नौ स्थानों पर ड्यूटी देने वाले पुलिस जवानों को अल्पाहार करवाना नियमित है। दिनेश मनन कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के कारण आंध्र प्रदेश नहीं जा पाए हैं व इस दौरान वह घर पर आराम करने की बजाय जनसेवा में जुटे हैं। जब कोरोना संकट काल में प्रशासन ने पूरी तरह से गरीबों का जिम्मा उठा लिया है तो अब वह नए मिशन की ओर बढ़ने लगे हैं। दिनेश को सिंघनई क्षेत्र से एक व्यक्ति का फोन आया कि मेरे बेटे को बचा लो, और अब वह चंडीगढ़ मैक्स अस्पताल में उस युवक का इलाज करवाने के लिए निकलेंगे। आंध्र प्रदेश के राजमहेंद्री वर्म में ओएनजीसी में बतौर अधिशाषी अभियंता सेवारत दिनेश कुमार मनन सेवा का प्रयाय बन चुके हैं।
राह चलते पांच लाख एकत्र हुए
मनन लोगों के लिए विश्वास का नाम है। यही कारण है कि रास्ते में चाय-नाश्ता परोसते हुए लोगों ने अपनी हैसियत के अनुसार पैसा दिया और यह पांच लाख तक एकत्र हुअा। मनन ने एक लाख रुपये मुख्यमंत्री कोविड अंशदान कोष में और तीन लाख प्रधानमंत्री अंशदान कोष में दिए। ढाई लाख रुपये से कोरोना योद्वाओं को पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर बांटने और 825 राशन किटें आबंटित की। ओएनजीसी की निदेशक एचआर अलका मित्तल ने पहली बार दो लाख और दूसरी बार पचास हजार रुपये का सहयोग किया। करीब आठ लाख रुपये की धनराशि स्वयं खर्च चुके हैं।
स्कूली बच्चों की योग कक्षा
छुटिटयों में घर पहुंचने से पहले योजना तैयार करके आने वाले दिनेश मनन पिछले एक दशक से ऊना जिला की कई पंचायतों के तहत आने वाले स्कूलों में बच्चों को योग सिखाते रहे हैं। योग सीखने वालों की आयु 18 वर्ष से कम रहती थी।
बहन ने जो संस्कार दिए वही कर रहा हूं : दिनेश मनन
मैं तो वही कर रहा हूं, जो मेरी बहन स्नेहलता ने संस्कार दिए। अब पत्नी शुभलता मेरे हर निर्णय में सहयोग देती है। मैं चंडीगढ़ मैक्स अस्पताल जा रहा हूं, जहां पर अधरंग से पीडित एक व्यक्ति के पुत्र का इलाज शुरू होना है। दो साल पहले पेड़ से गिरने के कारण युवक का कमर से नीचे का शरीर काम नहीं कर रहा। अब जिला प्रशासन तीन लाख का खर्च कर रहा है, मैं अस्पताल में उस युवक का अटेंडेंट रहूंगा जो संभव होगा, सेवा करूंगा। -दिनेश कुमार मनन, अधिशाषी अभियंता, ओएनजीसी आंध्र प्रदेश।
ट्रक चालकों को सुंदरनगर में भोजन बांट रही मित्र मंडली
कोरोना के साथ लड़ी जा रही जंग में हर व्यक्ति हिस्सेदार है। आमजन अपने घरों में शारीरिक दूरी कायम रख सकें, इसके लिए रोजाना सैकड़ों किलोमीटर का सफर करके आटा, चावल, दाल और रोजमर्रा की वस्तुएं पहुंचाने में ट्रक चालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इन चालकों को लंबा सफर भूखे काटना पड़ता है, अभी ढाबे पूरी तरह नहीं खुलेे हैं। जैसे ही कोई ट्रक चालक सुंदरनगर में प्रवेश करता है, यहां के युवाओं की मित्र मंडली उसको रोकती है। सभी चालकों को रोक कर नाश्ता करवाया जाता है। यदि चालक रुकना न चाहे तो उसे नाश्ता और दोपहर का भोजन पैक करके देने का काम हो रहा है।
ये है मित्र मंडली
मित्र मंडली में नितिन शर्मा, गौरव धीमान, विकास राणा, राज कुमार, कैलाश, चंद्रकांत, अशोक कुमार व प्रताप ठाकुर शामिल हैं। संपर्क करने पर नितिन ने बताया कि सभी मित्र एकत्र हुए तो तय हुआ कि सबके लिए तो भोजन की व्यवस्था हो रही है। ट्रक चालकों को भोजन मिलता भी है या नहीं, इसलिए ट्रक चालकों के लिए भोजन की व्यवस्था करेंगे। हम पूरा दिन में 15 से 20 चालकों को भोजन करवाते हैं और अभी तक 190 चालकों को भोजन करवा चुके हैं। हां, इतना जरूर कहूंगा कि भोजन की व्यवस्था मित्र मंडली के प्रत्येक सदस्य की ओर से स्वेच्छा से किए गए योगदान के तहत हो रहा है।