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कर्मचारियों ने हक के लिए बुलंद की आवाज

प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए दिए 15 फीसद विकल्प पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि सभी बातों को नहीं माना जाता है तो संयुक्त कर्मचारी महासंघ सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेगा।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 10:02 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 10:02 PM (IST)
कर्मचारियों ने हक के लिए बुलंद की आवाज
कर्मचारियों ने हक के लिए बुलंद की आवाज। जागरण आर्काइव

शिमला, जागरण संवाददाता। प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए दिए 15 फीसद विकल्प पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। यदि सभी बातों को नहीं माना जाता है तो संयुक्त कर्मचारी महासंघ हजारों कर्मचारियों की मौजूदगी में सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेगा और डिमांड चार्टर में दी गई सभी मांगों को पूरा करवाने का काम करेगा। महासंघ की आनलाइन हुई बैठक में 35 कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया। बैठक में संयुक्त कर्मचारी महासंघ की कार्यकारिणी के विस्तार पर चर्चा हुई और तय किया गया कि सभी विभागों को महासंघ में जिम्मेदारी दी जाएगी।

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प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान व महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि जहां तीन फीसद डीए की किस्त जो जुलाई से देय बनती थी, से कर्मचारियों को फायदा होगा जिसका महासंघ स्वागत करता है वहीं 15 फीसद का विकल्प देना केवल मात्र कर्मचारियों की रिकवरी को रोकने में सहायक सिद्ध होगा। इससे ज्यादा इसका कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। 2009 से 2014 के बीच लगे केवल मात्र वही कर्मचारी इससे लाभान्वित होंगे जिनका पे बैंड 27-9- 2012 की अधिसूचना से 5910-20200 से बढ़कर 10300- 34800 हो गया था।

2014 के बाद लगे इस पे बैंड के कर्मचारियों को भी 15 फीसद वाला विकल्प पहले से ज्यादा नुकसानदायक है। इसके अतिरिक्त अन्य किसी भी पे बैंड से संबंधित कर्मचारियों को इस 15 फीसद वृद्धि वाले विकल्प का कोई फायदा नहीं हो रहा है। 2009 से पहले के कर्मचारी को भी 2.59 वाला फेक्टर ही सूट करेगा यह कर्मचारी भी 15 फीसद वाला विकल्प नहीं चुन पाएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक 1-10-2012 से देय संशोधित वेतनमान में 2 साल की शर्त खत्म नहीं की जाती है और साथ में इनिशियल स्टार्ट की बहाली नहीं होती है तब तक ना तो हिमाचल का कर्मचारी एवं शिक्षक पंजाब के बराबर आ सकता है और ना ही किसी तरह का लाभ उक्त कर्मचारियों को मिल सकता है इसलिए हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ सरकार के इस फैसले से बिल्कुल भी खुश नहीं है।


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